2 दिसंबर 1922 की खबर-----
आजादी के अमृत काल में कैप्टन गौरी महादिक ने नारी सशक्तिकरण की मिसाल कायम की------
2017 में भारत - चीन बॉर्डर पर तवांग में उग्रवादी हमले में गौरी महादिक के पति मेजर प्रसाद महादिक बलिदान हो गए थे।
उनके बलिदान के 10 दिन बाद ही गौरी ने पति की राह पर चलकर देश सेवा का फैसला कर लिया था, शादी को केवल 2 साल हुए थे।
33 वर्षीय गौरी महादिक ने सेना ज्वाइन करके पति की ही तरह की यूनिफार्म और उस पर लगे स्टार पहनने की तैयारी कर ली थी।
कंपनी सेक्रेटरी की नौकरी छोड़कर (एसएसबी) की परीक्षा दी। पहली बार तो नहीं पर दूसरी बार में शहीदों की विधवाओं के लिए आयोजित होने वाली विशेष (एसएसबी) परीक्षा सर्वोच्च अंक लेकर ऑफिसर ट्रेनिंग अकैडमी में 50 सप्ताह की ट्रेनिंग पूरी करके गौरी मार्च 2020 में बतौर लेफ्टिनेंट भारतीय सेना में शामिल हो गईं।
पति की तरह ही गौरी महादिक ने चेन्नई स्थित अकैडमी में ही ट्रेनिंग ली थी। लेफ्टिनेंट के रूप में उन्होंने अपने पति को श्रद्धांजलि दी, अपना प्रण पूरा किया।
लेफ्टिनेंट गौरी महादिक की फोटो ऊपर है।