आजादी के अमृत काल में आजादी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था के उतार-चढ़ाव की जानकारी----
कभी हमारा राष्ट्र 25% आर्थिक स्थिति के साथ दुनिया के सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। अंग्रेजों के आने, राज करने तथा लूट कर ली जाने के कारण 1947 में स्वतंत्रता के समय आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो चुकी थी।
क्ष तब की सरकार ने आर्थिक नीतियों को ढंग से कार्यांवित नहीं किया, 4% रह गई थी, भारतीय अर्थव्यवस्था। तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी को जनता से एक सप्ताह में एक दिन का भोजन ना खाकर व्रत करने की अपील करनी पड़ी थी।
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सामने आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया था। 1991 में आर्थिक स्थिति डरावनी स्थिति तक पहुंच गई थी। प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की नीतियों से भी अर्थव्यवस्था को नहीं मिल पाया पूरा लाभ।
2014 में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने सुधारों के मोर्चे पर एक कदम आगे बढ़कर फैसला लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के 8 साल के कार्यकाल में स्वदेशी (आई एन एस विक्रांत) के साथ भारत आज 2022 में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। दोहरा लाभ मिला।
हमारी अर्थव्यवस्था की विकास दर हमसे बड़ी बाकी 4 अर्थव्यवस्थाओं में से तेज है। इस दशक में जीडीपी 5 ट्रिलियन डॉलर को पार कर लेगी। आगे के लिए सतर्कता से विचार करने की आवश्यकता है।
2016 में जीएसटी लागू, सभी गांव में विद्युतीकरण, जन धन से बैंकिंग व्यवस्था, मेक इन इंडिया से मैन्युफैक्चरिंग, (स्टार्ट अप इंडिया) से अनुकूल वातावरण बना। अन्य कई आर्थिक और विकास परक योजनाओं का कार्यान्वयन किया गया।
पीएलआई स्कीम से निर्माण कंपनियों को मदद, दिवालिया कानून से दिवालिया कंपनियों की राह आसान तथा (इज ऑफ डूइंग) से बिजनेस रैंकिंग में सुधार, डिजिटलीकरण ने आर्थिक सुधारों को गति दी।
आज राष्ट्र हर प्रकार के सुधारों के साथ आर्थिक व्यवस्था में मजबूती की तरफ अग्रसर है।
अभी और भी अनेक प्रयास जारी हैं। ------धर्मे
भारतीय अर्थव्यवस्था के अनेक सुधारों की फोटो ऊपर है।