बिहार का (रोहतास गढ़ किला)

4 2 0
                                    

आजादी के अमृत काल में हमारी पुरातन धरोहर की भव्यता------
12 सौ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला बिहार के रोहतास गढ़ जिले की कैमूर पहाड़ी पर बने इस किले में 83 दरवाजे, प्रवेश द्वार पर हाथी, दरवाजों पर बुर्ज, दीवारों की मनोरम पेंटिंग, रंग महल, शीश महल, पंचमहल, खूंटा महल, आइना महल, रानी मंदिर, हाथी दरवाजा, हथिया पोल, जामा मस्जिद, दीवान-ए- खास और दीवान-ए- आम शोभायमान है।
सातवीं सदी में बंगाल के राजा शशांक का यहां पर शासन रहा। बंगाल - बिहार पर शासन चलाने को मानसिंह ने इसे अपनी राजधानी बनाया था। शेरशाह ने भी यहां राज किया था। 12वीं 13 वीं सदी तक आदिवासी राजाओं (खरवार, उरांव, चेरो) के आधीन यह किला रहा था।
बार-बार आक्रमणकारियों द्वारा विध्वंस किए गए इस किले का कई राजाओं ने विस्तार तथा पुनर्निर्माण कराया था।
इस किले मैं पार्वती मंदिर से 84 सीढ़ियां चढ़कर राजा रोहिताश का बनवाया चौरासन शिवलिंग भव्य मंदिर है। अगस्त से फरवरी तक उपयुक्त मौसम में इस किले में बिचरते पशु पक्षी, तुतला भवानी जलप्रपात, महादेव खोह,मांझर कुंड, धुआं कुंड, आदि आकर्षक हैं।। आदिवासियों का यह तीर्थ स्थल है। माघ मास में त्रयोदशी से पूर्णिमा तक (तीर्थ यात्रा) महोत्सव हर साल मनाया जाता है।
5 मार्च 2022 को (रोहतासगढ़ महोत्सव) मनाया गया था। अगले वर्ष इसे (तीर्थ यात्रा) से जोड़ दिया जाएगा।
आदिवासियों के लिए महत्वपूर्ण यह किला उनकी संस्कृति का हिस्सा है।
पौराणिक व्यवस्था के अनुसार यह किला सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र के पुत्र रोहिताश ने बनवाया था, इसलिए इस जगह का नाम रोहतासगढ़ के नाम से प्रसिद्ध हुआ। अब यहां पर टाइगर रिजर्व बनाने की की योजना पर काम चल रहा है।------धर्मे
रोहतास गढ़ किला और यहां के जलप्रपात की फोटो ऊपर है।

आजादी का अमृत कालWhere stories live. Discover now