ऐ छोरी
तू मिले, तो भी सताती है
तू ना मिले, तो भी तरसाती हैतू होगी, तो रातें सुहानी होने का भरोसा है
और सुहानी ना हो, तो सब ने तुझको ही टोका हैतू जिंदगी की वह खोज है
जिसे पाकर बढ़ता सिर्फ बोझ हैफिर भी रात रात भर, उल्लू की तरह जागते हैं
तुझे पाने के लिए बहुत कुछ खोते हैंपर मिल जाए, तो वह मजा नहीं आता
चुभती है, पर तुझे छोड़ा भी नहीं जातामाना तेरी वजह से ही, जलता है हर चूल्हा
तुझे निभाने में मगर, सूझता है हर कुल्हामालिक बनने की चाह में, कोई तुझे अगर छोड़ता है
अपने सपनों को पूरा करने, नया उल्लू जरूर ढूंढता हैक्योंकि, तेरे बगैर तो जिंदगी चलती नहीं
ऐसा नहीं, कि तेरे मालिक को तेरी कमी खलती नहींचलो आज, मैं भी बगावत कर लूं तो...
उल्लू वाली शर्त, मैं नहीं मानूं तो?
अगर मैं आज से, कवि ही बन जाऊं तो?हंस मत,
मत पूछ,क्या लिखे कागजों से चलेगा मेरा घर?
चिता बना लूंगा उन कागजों कि, ना चला अगरमत सोच कर मैं एक कायर हूं
मैं भी जिद्दी शायर हूंतेरे संग उसमें कुदूंगा
पर तेरी शर्त नहीं मानूंगाजानता हूं, गहरी तेरी माया है
हारे दिल की, तू ही आखरी छाया हैमैं ना भी रहूं, तू हमेशा रहेगी
जालिम कहकर भी, दुनिया तुझको हंसकर सहेगीऐसी कैसी है तू?
ऐसी क्यों है तू?तू मिले, तो भी सताती है
तू ना मिले, तो भी तरसाती हैऐ छोकरी कौन है तू?
ऐ नोकरी, ऐसे क्यों है तू?Did you guess, it's about job? At what stage? Let me know in comments.. :-)
Writer : Swapnil Thakur
Author of Almighty's Embryo, a spiritual fiction novel.
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Nadaniya...Dil Ki
PoesíaThe dilemma of a heart whether to love what it has even if it's painful or to run behind what looks rosy until finding it!