हमसे भी किसी ने, मोहब्बत की थी
क्या बताऊँ कितनी, बेइंतहा की थीवह सजती थी मेरे लिए, मेरे लिए संवरती थी
इक ऐसी लड़की थी, जो मुझ बेवफा से प्यार करती थीमेरे ही सपने, लेकर के सोती, मेरी ही यादो में हंसती थी
मेरी बेवफाई से रोती, मुझे ही खोने से डरती थीअपनी जान से भी ज्यादा, मुझे चाहती थी
बस तेरी बन रहूंगी, हमेशा मुझसे कहती थीमेरे प्यार मे इतनी अंधी थी, मेरी आवारगी उसे न दिखती थी
जो दर्द ना दे, वह प्यार कैसा, कह हर जुल्म को मेरे सहती थीअगर कहु छोड़ दे मुझे, उसकी आँखों से गंगा बहती थी
बगल में मेरी रहती थी, पर खत लंबे चौड़े लिखती थीचुप चुप कर देखा करती थी, न मुस्कराउ तो, ख़फ़ा होती थी
ज़रा मुस्करा दु, तो सातवें आसमान में उड़ा करती थी
इक लड़की थी, जो मुझ बेवफा से प्यार करती थीहमसे भी किसी ने, मोहब्बत की थी
क्या बताऊँ कितनी, बेइंतहा की थीपर न जाने उसे क्यों जाने दिया
उसकी यादो ने फिर, न जीने दियाज़माने ने मुझे भी, खुन के आँसू रुलाया
मैं ढूँढता ही रह गया, पर वह कंधा नजर न आयासाथ थी तब उसकी, अहमियत समझ न पाया
कोई सच बता दें, वह हकीकत थी, या कोई मायाज़माने ने जिसे, हर पल ठुकराया
उस नाचीज़ पे उसे, कैसे इतना प्यार आयाअब उसकी यादो के पन्नों पे, दर्द उतारता हूं
लो मान लिया, मैं आज उससे, उसके जितना ही प्यार करता हूंमुझ से भी किसी ने, मोहब्बत की थी
क्या बताऊँ कितनी, बेइंतहा की थी#SwapnilThakur
#NadaniyaDilKi
#ManavPuraan
7th October 2021
10:00 PM
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Nadaniya...Dil Ki
PoetryThe dilemma of a heart whether to love what it has even if it's painful or to run behind what looks rosy until finding it!