बद्दुआओ से आज़ादी

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आज भी मैं उदास बैठा हूं
आज मगर बिन गिलास बैठा हूं

तेरे खयाल से ही अब, नशा चढ जाता हैं
साथ बिताये पलो में, दिल गढ जाता हैं

अपनी बद्दुआओ को मुकम्मल देख, खुश तो बहोत होगी
कर दो अब तो आजाद, या जान लेकर ही मानोगी

कसूर बस मेरा नहीं था जुदाई में
पूछो मेरे अश्कों से, जो उतरते रोज रज़ाई में

कैसा ये बिछड़ना अपना, तुम हार के भी जीत गई
बची हुई जिंदगी मेरी,  तेरी यादों में  ही बीत गई

बेजान हुआ बैठा हु मै, मेरी जान तुझे खो कर
कर दो झिंदा फिरसे, मेरी सांसों मे सांसे भर कर

मैं आझाद होना चाहता हूं, तेरे हर ईल्जाम से
भुला दे सभी गिले-शिकवे, ए दोस्त ईक जाम से

19th Jan 2024
10:30 to 11:15 PM
#SwapnilThakur

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