किस किस बात की शिकायत करू तुमसे
तु समझना चाहे, तो ही, कुछ कहु तुमसेशिकायते काफ़ी है, कहां से शुरू करू
तु बदलना चाहे, तो ही, तुझे उनसे रुबरु करूरिश्ते की डोर नाजुक है, इसलिए खामोश रह लेता हूं
तुम्हें खोने से डरता हूँ, इसलिए काग़ज़ों को ही कह देता हूंखा तरस मुझ पे, उड़ ना आए, ये काग़ज़ तेरे पास
न कह दे, उन्हें भी, थी बरसों से तेरी तलाशमैंने रखा है खयाल, काग़ज़ों में, कहीं नहीं हैं तेरा नाम
बस उन्हें पढ़ समझ ना जाना, तू ही हैं वह अंधेरी शामचलो मैं ही फेंक देता हूं, काग़ज़ों को कूडे दान में
फ़िर ना पता चलेगा तुझे, क्या लिखा था तेरी शान मेमैं भुला दूँगा सारी शिकायतें फिरसे, सुबह की पहली किरण में
आखिर तेरे सिवाय मेरा भी, बचा है कौन जीवन में#SwapnilThakur
#ManavPuraan
#NadaniyaDilKi
21st August 2021,
9:29PM
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Nadaniya...Dil Ki
PoesiaThe dilemma of a heart whether to love what it has even if it's painful or to run behind what looks rosy until finding it!