पाठ-26

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अनु हवाक राज की बातें सुनती रही !

राज : अब तुम अपने आप जुड़ गई मेरे काम में तो मै क्या करू !

अनु : प्लीज़ तुम हमे छोड दो मै विक्रम से बात करुंगी कि वो काम ना छोड़े !

मै वादा करती हू कि मै विक्रम को राजी कर लूंगी !

राज : अनु मैडम अब राजी करने का टाइम निकल गया ! अब तो बस बात आर या पार !

अनु एकदम से उठ कर राज के पांव पकड कर बैठ गई और रोते हुए बोली : मै तुम्हारे पांव पडती हू मुझे और मेरी बच्ची को छोड़ दो ! जिन्दगी में मुझ पर एक उपकार कर दो कि मुझ पर यकीन करो मै विक्रम को मना लूंगी !
राज अपने पैर छुडाते हुए बोला : जब तक दिलावर सिंह कहता नही तुम यही रहोगी !

राज दरवाजा बंद करके बाहर  निकल गया !

अनु रोते हुए बैड पर गुड़िया को गोद में लेकर बैठ गई ! उसे समझ ही नही आ रहा था कि अब क्या करे !

उधर विक्रम दिलावर सिंह के अड्डे पर पहुंच चुका था ! विक्रम कार खडी करके तेजी से मेन गेट खोलता हुआ अन्दर दाखिल हो गया ! उसे दिलावर सिंह के किसी भी आदमी ने नही रोका ! विक्रम बडे से हाल कमरे में पहुंच गया ! सामने सोफे पर दिलावर सिंह बैठा था ! विक्रम को देखते ही बोला : अरे आज इस तरफ का रास्ता कैसै भूल गये ? लेकिन मै जानता था तुम मेरे साथ काम जरुर करोगे !

विक्रम गुस्से से : अनजान बनने की कोशिश मत कर दिलावर सिंह ! मै जानता हू कि तू कितना हरामी है ! सीधा बता अनु कहा है ?

दिलावर सिंह : अरे ! तुम्हारी अनु तुम्हारे पास होगी ! मेरे पास क्या लेने आयेंगी ‌!

यह कह कर दिलावर सिंह और उसके आदमी हंसने लगे !

विक्रम ने फुर्ती से गन निकाल कर दिलावर सिंह की कनपटी पर लगा दी ! ये इतनी जल्दी हुआ कि दिलावर सिंह के पास खडे आदमी भी समझ नही पाये !

विक्रम गन दिलावर सिंह की कनपटी से लगाकर : हंसना बंद कर ! तू जानता है ना मै तेरा यही कीमा बना सकता हू और तेरे किसी भड़वे में हिम्मत नही है मुझे रोकने की ! बता अब अनु कहा है नही तो भेजा निकाल कर चील कऊवो को खिला दूंगा !

नई सड़क पार्ट-1Where stories live. Discover now