पाठ-21

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आफिस खत्म हो चुका था अनीता और अनु बाहर आ चुकी थी !
अनीता : आज भी जीजा जी लेने आये गे क्या ?
अनीता हंसने लगी !
अनु मुस्करा कर : हा क्यू नही आये गे नही तो जायेगे कहां !
अनीता : अच्छा जी ये बात है !

दोनों खिलखिला कर हस पडी !

अनीता अनु को बहुत सालो बाद खुश देखकर बोली ; मै बहुत खुश हूं अनु कि विक्रम के तेरी जिंदगी में आने के बाद तू ख़ुश है !

अनु : क्या बोलूं अनीता वो है ही ऐसा कि उसने मेरी जिंदगी की सारी कमियां पूरी कर दी ! मै सच में खुश हूं !

अनीता और अनु बहनों की तरह लिपट गई !
अनीता : अच्छा है ये तो ! बस तू खुश रह ! चल मै चलती हू फिर !
बाय बोल कर अनीता अपने पीजी की तरफ निकल गई !

अनु आसपास देख रही थी कि विक्रम ने कहा था लेने आने को ! उसने जैसे ही विक्रम को फोन करने के लिए फोन निकाला तभी विक्रम कार लेकर पास खडा हो गया !
विक्रम ने अन्दर से ही अनु की साइड का दरवाजा खोला और अनु कार में विक्रम के साथ वाली सीट पर बैठ गई !

विक्रम ने कार आगे बढ़ा दी ! अनु विक्रम की तरफ गौर से देखने लगी !
विक्रम मस्ती के मूड में : क्या देखती हो,सूरत हमारी.....
अनु : कैसे कर लेते हो तुम ये सब ? और ऐसे हो जाते हो कि जैसे कुछ हुआ ही नही !
विक्रम : अब क्या हुआ ?
अनु : तुम गुड़िया के बोर्डिंग स्कूल गये थे ?
विक्रम : हां गया था ! तो ?

अनु : मुझे बिना बताए !

विक्रम : अपनी बच्ची को देखने जाने के लिए क्या तुम्हारी परमिशन लेनी होगी ?

अनु : नही मै ये नही कह रही ! मेरा मतलब तुम इतना बडा डोनेशन दे कर आये और गुड़िया की पूरे साल की फीस भी ! इतना सब खर्चा करने की क्या जरूरत थी !

विक्रम : देखो ! तुमसे पहले अब मेरा रिश्ता उस बच्ची से है ! मै अपनी बच्ची के लिए इससे भी ज्यादा करुंगा ! तुम कुछ नही कहोगी ! जब मैने तुमको अपना मान लिया तो तुम दोनों की जिम्मेदारी मेरी !

अनु की आंखों में आसूं छलक आये !

विक्रम : फिर से ! कहा था ना मैंने कि मेरे सामने आज से रोना मत ! अब रोना खत्म !
अनु ने बढ़ कर विक्रम के गाल को चूम लिया !

नई सड़क पार्ट-1Where stories live. Discover now