कभी घर में बंद रहते थे
कभी रास्तों पे टहलते थे
आज जब छत पे चढ़े तो जाना
वो पंछी थे जो चेहकते थे
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क्योंकि हिन्दी में कुछ बात है...
Poetryमेरी और मेरे दोस्तों ने लिखी हुई कुछ हिन्दी पंक्तियाँ
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कभी घर में बंद रहते थे
कभी रास्तों पे टहलते थे
आज जब छत पे चढ़े तो जाना
वो पंछी थे जो चेहकते थे