मैं तुम्हारा गुलाब तो नहीं,
मगर तुम मेरा काटा बन जाओ,
चुभ भी गए तो कोई गम नहीं,
उस दर्द को मिटाने फिर तुम चले आओ।
YOU ARE READING
क्योंकि हिन्दी में कुछ बात है...
Poetryमेरी और मेरे दोस्तों ने लिखी हुई कुछ हिन्दी पंक्तियाँ
22
मैं तुम्हारा गुलाब तो नहीं,
मगर तुम मेरा काटा बन जाओ,
चुभ भी गए तो कोई गम नहीं,
उस दर्द को मिटाने फिर तुम चले आओ।