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बताते भी तो क्या?
जताते भी तो क्या?

अपनी चाहत को हम
सुनाते भी तो क्या?

हमसफ़र थे शायद
हम दोनों सिर्फ नाम के

नासमझी के धागों में
समझ पिरोते भी तो क्या?

क्योंकि हिन्दी में कुछ बात है...Where stories live. Discover now