हवा भी अपना रुख बदलती है
वक्त भी जैसा हो ज़रूर बदलता है
खामोशी की भी अपनी ही एक ज़ुबान है
हमे तो शब्दों में भी बयाँ करने से डर लगता है
गम बांटना चाहते तो है हम
मगर आपकी मुस्कुराहट छीनना हमें मंजूर नहीं।~ vanuSh99
आप पढ़ रहे हैं
क्योंकि हिन्दी में कुछ बात है...
Poetryमेरी और मेरे दोस्तों ने लिखी हुई कुछ हिन्दी पंक्तियाँ
42
हवा भी अपना रुख बदलती है
वक्त भी जैसा हो ज़रूर बदलता है
खामोशी की भी अपनी ही एक ज़ुबान है
हमे तो शब्दों में भी बयाँ करने से डर लगता है
गम बांटना चाहते तो है हम
मगर आपकी मुस्कुराहट छीनना हमें मंजूर नहीं।~ vanuSh99