इन नशीली आंखों से ना देखो
ये नज़रें हमें सताती हैं
इस मुस्कुराहट से कुछ ना कहो
आपकी बातें हमें डराती हैं
इतने करीब ना खडे रहो
ये धड़कने हमें आजमाती हैं
कहना हो जो ज़ुबां से कहो
ये खामोशीयां और सही नहीं जाती है
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क्योंकि हिन्दी में कुछ बात है...
Poetryमेरी और मेरे दोस्तों ने लिखी हुई कुछ हिन्दी पंक्तियाँ
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इन नशीली आंखों से ना देखो
ये नज़रें हमें सताती हैं
इस मुस्कुराहट से कुछ ना कहो
आपकी बातें हमें डराती हैं
इतने करीब ना खडे रहो
ये धड़कने हमें आजमाती हैं
कहना हो जो ज़ुबां से कहो
ये खामोशीयां और सही नहीं जाती है