लाख गलतियां की हैं तुने
मगर इस से बड़ी कोई और नहीं
चीख चीख के कह रहा था वो
मगर तुने अपने मन की सुनी ही नहींबेह गया वापस उसी सागर मेे
"सब कह रहे है तो ठीक ही होगा।"
अपने मन की बात को बस एक मौका देता
तो आज इस दलदल मे भी कमल खिल उठा होता।
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क्योंकि हिन्दी में कुछ बात है...
Poetryमेरी और मेरे दोस्तों ने लिखी हुई कुछ हिन्दी पंक्तियाँ
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लाख गलतियां की हैं तुने
मगर इस से बड़ी कोई और नहीं
चीख चीख के कह रहा था वो
मगर तुने अपने मन की सुनी ही नहींबेह गया वापस उसी सागर मेे
"सब कह रहे है तो ठीक ही होगा।"
अपने मन की बात को बस एक मौका देता
तो आज इस दलदल मे भी कमल खिल उठा होता।