अल्फ़ाज़ में सजाई है क़ायनात होगा ख़ुदा कोई,
ख़ुदाया ए ज़मीन पे था राहग़ीर जैसे जुदा कोई!जिनकी शायरी में उलझ़ गया दीवाना हर कोई,
हर प्यासे की होठों पे मिला है जैसे मैक़दा कोई!उन्होंने उछालें हैं शेर कई रियासत ए दरबार में,
ख़ुश यहाँ है कौन भला हर एक ग़मज़दा कोई!यह जिंदगी भी क्या जिंदगी है मासूम सी है मगर,
जिते जी मिलीं है हर सभी को जैसे सज़ा कोई!उनकीं बातें पढ़ कर के हम अब भी ख़यालों में है,
कई राज़ उलझ़े नहीं ख़ता होकर ली है रजा कोई!
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अक़्स
Ficción Generalwinner of "Popular Choice Awards India 2019". in ** ( Poetry: Hindi )** "अक़्स" "REFLECTION" चला जाता हूँ जहाँ जहाँ तेरा अक़्स दिखाई देता है, छुपा लूँ जमाने से मैं कितना भी जख़्म दिखाई देता है! हम अपने दोस्तों को मिलनें चलें जाये क्यूँ बताओं...