खुद से ही जब हारा तुझे क्या गिला करूँ मैं,
ग़म से ही जब मारा तुझे क्या मिला करूँ मैं!जब होश में था मै तो मुझे बदनाम कर दिया,
मुझे जब नहीं होश तुझे क्या पिलाया करूँ मैं!जब दुनिया में चाहने वाला कोई होता नहीं है,
जब दिल में नहीं प्यार तुझे क्या सिखलाऊँ मैं!कभी दिल में हमारे वह रहता था रात दिन,
जलता हुआ चिराग़ तुझे क्या दिखाऊॅ मैं!यह मौसम है ऐसा जो बदलता है बार बार,
वक़्त जब बदल गया तुझे क्या बतलाऊ मैं!
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अक़्स
General Fictionwinner of "Popular Choice Awards India 2019". in ** ( Poetry: Hindi )** "अक़्स" "REFLECTION" चला जाता हूँ जहाँ जहाँ तेरा अक़्स दिखाई देता है, छुपा लूँ जमाने से मैं कितना भी जख़्म दिखाई देता है! हम अपने दोस्तों को मिलनें चलें जाये क्यूँ बताओं...