poetry

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कहीं किसी किनारे हम अपना घर बना लेंगे,
उम्मीद है बडी ऐ ख़ुदा आपके दिल में पनाह लेंगे!

आप देखेंगे जिस तरफ़ हम भी उस तरफ़ देख लेंगे,
शाम को सुबह और सुबह को हम शाम बना लेंगे!

झाडियाँ हो हर तरफ़ और सामने झ़ील का किनारा,
सर पे आसमान जमीन की हरी चादर बना लेंगे!

रास्ता फूलों पहाडों से गुजर कर मंजिल तक जायेगा,
ख़ुशबू से महक़ उठेगी राहें हम एक जान बना लेंगे!

तेरी मिश्री की आँखों में यह दरिया भी डूब जायेगा,
लहरों को थाम कर बाहों में हम मोती चूरा लेंगे!


अक़्स Where stories live. Discover now