कहीं किसी किनारे हम अपना घर बना लेंगे,
उम्मीद है बडी ऐ ख़ुदा आपके दिल में पनाह लेंगे!आप देखेंगे जिस तरफ़ हम भी उस तरफ़ देख लेंगे,
शाम को सुबह और सुबह को हम शाम बना लेंगे!झाडियाँ हो हर तरफ़ और सामने झ़ील का किनारा,
सर पे आसमान जमीन की हरी चादर बना लेंगे!रास्ता फूलों पहाडों से गुजर कर मंजिल तक जायेगा,
ख़ुशबू से महक़ उठेगी राहें हम एक जान बना लेंगे!तेरी मिश्री की आँखों में यह दरिया भी डूब जायेगा,
लहरों को थाम कर बाहों में हम मोती चूरा लेंगे!
YOU ARE READING
अक़्स
General Fictionwinner of "Popular Choice Awards India 2019". in ** ( Poetry: Hindi )** "अक़्स" "REFLECTION" चला जाता हूँ जहाँ जहाँ तेरा अक़्स दिखाई देता है, छुपा लूँ जमाने से मैं कितना भी जख़्म दिखाई देता है! हम अपने दोस्तों को मिलनें चलें जाये क्यूँ बताओं...