मेरे इश्क़ का बाजार ना करना
कभी तुम भी थे दीवाने
कभी मैं भी था दीवाना
मेरा मेहबूब हैं बेजार ना करना
कभी तुम भी थे दीवाने
कभी मैं भी था दीवानायह रोग लाईलाज है दवा बे असर हैं
इन जख्मों का इलाज़ ना करना
कभी तुम भी थे दीवाने
कभी मैं भी था दीवानाइस शहर में वैसे भी हर कोई दगाबाज है
इस शेर को औजार ना समझना
कभी तुम भी थे दीवाने
कभी मैं भी था दीवानाहै पैसा ही सबकुछ जान का क्या हैं
इस ईमान का घाट ना करना
कभी तुम भी थे दीवाने
कभी मैं भी था दीवानापरखा है जमाना परख लिया दोस्त
इस नाचीज़ को शायर ना बनाना
कभी तुम भी थे दीवाने
कभी मैं भी था दीवानाएक झील
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अक़्स
General Fictionwinner of "Popular Choice Awards India 2019". in ** ( Poetry: Hindi )** "अक़्स" "REFLECTION" चला जाता हूँ जहाँ जहाँ तेरा अक़्स दिखाई देता है, छुपा लूँ जमाने से मैं कितना भी जख़्म दिखाई देता है! हम अपने दोस्तों को मिलनें चलें जाये क्यूँ बताओं...