कोई तो समझायें के किस तरह जिया जायें,
ज़हर ए जिंदगी का किस तरह पिया जायें!हैं मोहब्बत उनकों भी यह ख़बर है मुझको,
नाम यह महफ़िल में किस तरह लिया जायें!बडी क़ातिल हैं अदा इस दुनिया में ऐ लोगों,
हक़ दोस्ती का अदा किस तरह किया जायें!हर ख़याल हैं उनका और हर ग़ज़ल उनकीं,
ख़ुद को ही निलाम किस तरह किया जायें!हमने सजाया है शज़र सिर्फ़ उनके ख़ातिर,
खुशबू ए सुर्ख़ फूल किस तरह दिया जायें!हमने मज़हब से एक दूसरे को बाँट लिया हैं,
ऐसे में हर इन्सान किस तरह मिलाया जायें!ऐ ख़ुदा तुने बनाया है सब में एक रंग मगर,
झ़ील का रंग जुदा किस तरह बनाया जायें!
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अक़्स
General Fictionwinner of "Popular Choice Awards India 2019". in ** ( Poetry: Hindi )** "अक़्स" "REFLECTION" चला जाता हूँ जहाँ जहाँ तेरा अक़्स दिखाई देता है, छुपा लूँ जमाने से मैं कितना भी जख़्म दिखाई देता है! हम अपने दोस्तों को मिलनें चलें जाये क्यूँ बताओं...