मगर फिर भी

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वह चला गया दूर निगाहों से मगर फिर भी,
रहता है हर वक़्त ख़यालो में मगर फिर भी!

भरोसा है वह लौट कर फिर आयेगा जरूर,
सुना है दोस्तों की जुबान से मगर फिर भी!

हमने जोर नहीं किया है तुम काम न करों,
दिल में उनकी है मेरी तसवीर मगर फिर भी!

आईना है ख़ामोशी है हर सुबह भी है मगर,
दिल ए बेकरार है इंतज़ार है मगर फिर भी!

हमने जज़्बात दिल में दबायें थे अब तक,
झ़ील ने किया यह एहसास मगर फिर भी!

दर्द़ दरअसल मेरे गुमनाम नहीं उसे है पता,
उसने यह महसूस किया है मगर फिर भी!

अपने हाथों की लकीरें बदलती नहीं लेकिन,
हो भी जायेगी यह तमन्ना पूरी मगर फिर भी!

झ़ील

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