मीरा का खोफ़-6

1 1 1
                                    

श्याम के ऐसे व्यवहार कर ने पर मीरा चुपके से दीवार से लगी हुई khade होकर काम्प रही थी...मीरा के साथ ऐसा व्यवहार करने के बाद में श्याम दरवाजे की तरफ बढ़ गया था लेकिन तबी उसके मन में अचानक क्या आया की दरवाजे से उसने अपने कदम कमरे में घुमा लिए.....

डरी सहमी सी मीरा एक बार फिर शाम को अपनी तरफ अत: हुआ pa कर डर की वजह से और कुछ thand की वजह से कम्पने लगी....

लम्बे कदमों के साथ श्याम मीरा के करीब आया और लगभाग dhamkate हुए उसे बोला "अब जल्दी से नीचे आओ और मुझे खाना गरम करके दो....मीरा कुछ तो पहले ही नहीं बोल रही थी लेकिन जब उस ne धीरे से नजर उठाकर श्याम की तरफ देखा तो श्याम की आंखें iss वक्त आग उगल रही थी....जिन्की तपिश मीरा से सहन नहीं हो रही थी....

Agar कोई भी शाम को देखता तो डर से कंम्प जाता....लेकिन मीरा फिर भी किसी तरह से हिम्मत बनाकर शाम के सामने khadi रही.....

फिर भी मीरा कुछ ना बोल कर बस हल्के से हाँ सर हिलाने लगी....

श्याम की बात मनने के बाद में मीरा धीरे धीरे से दरवाजे की तरफ जाने लगी taki श्याम को खाना गरम करके दे sake ...

मीरा दरवाजे तक गई ही थी की तबी शाम ने आ कर मीरा का हाथ पकड़ा और उसे mrodte हुए उसे कमर से pakad कर तुरंत अपने करीब खिच लिया.....

श्याम ने अपने सारे शरीर का दवबाव मीरा के हाथ पर बना diya मीरा को बहुत तेज दर्द हो रहा था.....

यह सब कुछ श्याम ने इतनी जल्दी किया की मीरा को samjhne का मौका भी नहीं मिला....

काम्प्ति हुई आवाज में मीरा के मुंह से बस यही निकला" ye आप क्या कर रहे हैं श्याम जी छोडिये मुझे दर्द हो रहा है....!

लेकिन श्याम था कि मीरा कोई भी बात सुन ही नहीं रहा था....

श्याम ने मीरा को बिलकुल अपने से लगा लिया और बोला "तुम क्या सोचती हो तुम इस तरह से गिले कपडो में नीचे जाकर मेरी मां को अपनी ऐसी हलत दिखाकर अपनी बातो में उल्झा लोगी और उस के पूछने पर मेरे खिलाफ सॉरी बाते उगल dogi....

kuwari maa Место, где живут истории. Откройте их для себя