meera Ka khoff-1

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लगातर 2 घंटे से अपने room में तहलने के बाद में आखिरकर मीरा को रात के 1:00 बजे निंद aa ही चुकी थी.....

अभी मीरा को अपने निंद में गए हुए मुश्किल से ही 15 मिनट हुए था.... की उसको किसी की आहट सुनाई दी जिसे उस की निंद एक बार फिर उचट गई .....

मीरा ने ghabrayi हुई अवस्था में- अपने बिस्तर से उतर कर बहार की तरफ आकर देखा लेकिन वहां पर कोई भी नहीं था उसके jiबाद में मीरा ने अपने बड़े सी हवेली की लोहे की ग्रिल से jhank कर नीचे की तरफ देखा....

इतनी बड़ी हवेली के बड़े से हॉल में भी कोई दिखलाई नहीं दे रहा था... मीरा ने हर रोज की तरह आज भी अपने होल की light जलाकर ही रखी हुई थी....

कुछ पल तक lgatar होल और मेन गेट पर नजर rakhne के बाद में मीरा ने अपनी नजर वापस से खिच ली.... लेकिन अब की बार भी उसके हाथ सिरफ निरशा ही लगी....

मीरा को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था लेकिन उस ne कान्हा जी से प्रार्थना कर वापस से अपने बिस्तर पर आ gayi....

अपने पिछले रातों को याद कर के मीरा के मन में एक dar सा बैठा था जिस्की वजह से अभी तक मीरा को निंद भी नहीं आई थी....कुछ samay पहले ही मीरा इन यादों से खुद को दूर करके बड़ी मुश्किल से ही तो सो पाई थी.... लेकिन फिर से ye याद - उसके मन में घर करने लगी थी।

याद-करते meera फिर से उस् रात की बुरी यादों में खुद को ढकेलने से नहीं रोक पाई जब वह अपना सारा काम खतम करके बिस्तर पर श्याम की राह-देखते ही जाने कब सो gayi उसे भी पता नहीं चला...
इस दिन काम की वजह से मीरा इतनी thak गई थी की उसे निंद बहुत गहरी आ रही थी...

लेकिन मीरा को अभी सोए हुए आधे घंटे ही हुआ था की वह बिस्तर से नीचे गिर पड़ी थी....बिस्तर से गिरते ही मीरा के मुंह से एक बहुत ही दर्दनाक चिख निकली...

जब नीचे गिरने की वजह से मीरा की निंद खुली तो उसे अपनी धुंधली आंखों से अपने सामने खड़े हुए श्याम को पाया...

मीरा जो की बेफिक्र si सो रही थी और एकदम से गिर पड़ी और गिरते ही उसकी आंखों के सामने श्याम का चेहरा आना मीरा को समझ नहीं आ रहा था की यह सब एकदम से कैसे हुआ....

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