Meera ka khoff-4

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मीरा का आज का दिन भी पिचले 3 महिनों की तरह ही beet गया था न ही उस ne माधवी जी से कुछ बोल ne की कोशिश की और ना ही माधुरी जी ने मीरा के चेहरे को देखते हुए उस se कुछ poocha .....
एक दो बार माधुरी जी ने कोषिश की थी लेकिन उसे कोई भी परिणम नहीं मिला....

पिचले 3 महिनों से हर रोज माधुरी जी को एक नई उम्मिद मिलती वंश के रूप में.....

मीरा कभी तो पहले जैसी हो जाएगी लेकिन मीरा का वही dra सहमा सा चेहरा माधुरी जी के सामने घूम रहा था...

जिसने एक पल के लिए तो माधुरी जी के मन में यह ख्याल la diya था की कहीं unhone मीरा के साथ कुछ गलत तो नहीं कर दिया ना.....???

मीरा subah से लेकर अब रात तक कभी वंश के साथ बाते कर्ति तो कभी उसे दूध पिलाती..... लेकिन issi बिच मीरा एक बार भी नहीं muskurayi थी.....

मीरा के मन में कुछ ऐसी बातें चल रही थी जिन्का जवाब या तो कान्हा जी ही के पास था या फिर खुद मीरा के पास.....

जैसे जैसे घड़ी की सुइयां आगे बढ़ रही थी और 6 से 7 और 7 से 7:30 bjae जा रही थी -वैसे मीरा के मन में एक Anjaan डर आ रहा था....

यह एक ऐसा डर था जिसके बारे में मीरा किसी को बता भी नहीं सकती थी माधवी जी ने भी कई बार कोशिश करके देख li लेकिन meera ने उनको भी कुछ नहीं बताया....

समय: के साथ साथ मीरा की बेचैनी और drr वही माधुरी जी की बेचैनी भी बढ़ती जा रही थी साथ ही साथ कुछ ऐसे सवाल जिन्के जवाब मीरा के पास ही The....

घर की एक नोकरानी जो रात को खाना बना ne आती थी आज भी अपना काम खतम करके जा चुकी थी....

मीरा ने वंश को पहले ही सुला दिया था उसे बाद में मीरा अपना खाना लेकर room में चली गई और वहां पर ja कार खाने लगी....
तीन महिनों में मीरा ने कभी भी घर के members के साथ बैठकर खाना नहीं खाया था....

माधुरी जी को तो यह भी नहीं पता था कि मीरा अपना खाना पुरा खतम Karti bhi है या फिर कचरे ke डिब्बा में ही daal देता है....

kuwari maa Where stories live. Discover now