26 अर्पिता के पापा अर्पित पर खुश हैं 😊

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पिछले पार्ट में पढ़ा था कि अर्पिता के घर के सारे सदस्य बाहर चले जाते हैं और अर्पिता को तेज बुखार अता है।तभी अर्पित उसके साथ होता है ।अर्पिता अर्पित के साथ रहकर बहुत अच्छा महसूस किया।उसने अर्पित में अपनों की तरह ही प्यार पाया।अर्पिता और अर्पिता एक दूसरे को साथ निभाने का वादा करते हैं।उसके बाद जब साम को अर्पित के सभी घर वाले वापस आ जाते हैं,अर्पित उन सबको सब कुछ बताता है और अपने आने की बजह भी बताता है।उस वक़्त अर्पिता के पापा अर्पित पर संदेह करके अर्पिता के कमरे में जा चुके होते हैं और देख ते हैं कि अर्पिता आराम कर रही थी अपने कमरे में।अब आगे :-
अर्पिता के पापा जब अपनी बेटी को ठीक पाते हैं तो उन्हें अच्छा लगता है। अब जब वो बाहर आते हैं अर्पित उनसे मिलने के बाद चला जाता है।तभी सूर्यकांत की सकल देख कर संगीता जी अपने बेटे की मन की बात जान लेती हैं और सूर्यकांत जी को दिखाते हुए कहती हैं,"अच्छा हुआ आज अर्पित अर्पिता के पास था ,वर्ना पता नहीं अर्पिता का क्या होता,हमारा अर्पित एक अच्छा लड़का है जो उसने अर्पिता कि बीमारी का फायदा न उठा के उसका खयाल रखा।"ये बात सूर्यकांत जी के दिल को छु गया।फिर भी उन्होंने इस बात की कितनी सच्चाई है ये जान ने केलिए अर्पिता की उठने तक का इंतज़ार करने को कहा।जब सभी dinner केलिए एक साथ बैठे थे तब वहां अर्पिता भी बैठी थी।उसने सबसे दिन भर की बाते बताई।अर्पिता ने कहा कि उसको अर्पित के साथ secure feel होता है।ये बात सुन ने के बाद सूर्यकांत जी को भी खुशी मिली।उन्होंने सबसे कहा,"एक वक़्त था जब मुझे अर्पित के private job से परेशानी थी,लेकिन आज पता चल रहा है कि अर्पित मेरी बेटी को हमेशा खुश रखेगा,आज पता चला इनसन government job करे या private job करे लेकिन एक अच्छा खयाल रखना वाला साथी हो तो उस के सामने उसकी कमाई कुछ भी नहीं।हमारी अर्पिता केलिए अर्पित से अच्छा कोई है ही नहीं।मुझे और भी डर था कि मेरी बेटी की बचपना आदतों को कौन संभाल पाएगा? लेकिन आज पता चला अर्पित भी वो इंसान है जो अर्पिता को संभल सकेगा।"अर्पिता ने पापा की मन की खुशी को देख कर बहुत खुश हुई।उसने सबसे कहा कि अर्पित ने उस से वादा किया है कि वो सादी के बाद अर्पिता को नौकरी करने देगा। सब खुश हो गए ये बात सुन कर ।दादा जी ने कहा ,"तो अब देरी न करके पंडित जी से कह के उन दोनों की सादी के मुहूर्त निकल लेते हैं।" सभी ने इस बात को समर्थन दिया।
अगली सुबह अर्पित निकल गया Banglore केलिए।जाते वक़्त वो अर्पिता के घर गया उस से मिल ने ।तभी सुबह के 7 बजे थे ।अर्पिता तो 8 बजे उठ ती है ये बात अर्पित जान ता था ,फिर भी जब उसके पास और टाइम नहीं था वो मिल ने चला गया अर्पिता से। अर्पिता दो रही थी उसकी मा ने बुलाया पर कहां उसके कानों को सुनाई देता है।अर्पित ने कहा कि वो खुद जा कर अर्पिता को उठाएगा।वो अर्पिता के कमरे में गया।उसने देखा कि उसकी अर्पिता सोते हुए बहुत प्यारी लग रही थी। मन तो करता था कि वो एक बार अर्पिता के माथे को चूम ले ,लेकिन अर्पिता के इजाजत के बिना ऐसा नहीं करना चाहता था।वो बस अर्पिता के पास बैठा और उसके बिखरी हुई बालों को सजाया।तभी अर्पिता ने सपना देख के बड़बड़ाया ,"अर्पित!मत जाओ अभी ,मुझे आपके साथ और भी वक़्त गुजार ने है,पता है आपको में आपको बहुत प्यार करती हूं।"ऐसा कहते कहते कब उसने अर्पित को पकड़ लिया उसे पता ही नहीं चला, कैसे पता होता भला वो जो नींद में थी।अब अर्पित ने उसे नींद से जगया।अर्पिता इतनी सुबह सुबह अर्पित को देख कर हैरान ही गई।वो बिचारी सोच रही थी कि अर्पित क्या सोच रहा होगा।अर्पित ने तभी उस से पूछा,"सपनों में भी मेरे ही बारे में सोचती हो?अर्पिता पूछती है कि उसने क्या कहा?अर्पित उसे बताता है कि कैसे उसने उसे सपने बड़बड़ाते हुए रुकने को कहा और उसका हाथ पकड़ा लिया।अर्पिता थोड़ी सर्मा जाती है और उसे एहसास होता है कि उसने अभी भी अर्पित का हाथ पकड़ा रखा है।झट से अर्पिता अर्पित कि हाथ छोड़ देती है और दोनों हसने लगते हैं।अर्पित कहता है ,"चलो अब में चलता हूं, 9 बजे train है।"अर्पिता थोड़ी emotional हो के कहती है,"
-कब आओगे आप दुबारा , आप की बहुत याद आएगी।

अर्पित -अरे अभी तक गाय नहीं हूं,और तुम आने कि बात पूछ रही हो पगली।इतना प्यार कब से हो गया है तुम्हे?तुम वैसे ही रह लेना जैसे पिछली बार रही थी।

अर्पिता - तब की बात अलग थी,और अब आप मेरे और भी करीब ही गए हैं।
अर्पित - अच्छा ठीक है पगली ,जब वह पहुंचूंगा तुम्हे
Call करूंगा ।हमेशा बाते करूंगा लेकिन कोई में
ज़रूरी meeting हो न तभी नहीं कर पाऊंगा।
अर्पिता - अच्छा ठीक है।जाते ही मुझे call करदेना।
अर्पित - अच्छा बताओ जब आऊंगा क्या लेके आऊंगा
तुम्हारे लिए?
अर्पिता - कुछ नहीं बस मेरे अर्पित को सही सलामत मेरे
मेरे पास वापस ला ना और कुछ चाहिए हो तो
बाद में बता दूंगी।
अर्पित - अच्छा ठीक है ।अब चलो में चलता हूं ,तुम भी
जाओ fresh हो जाओ।
उसके बाद अर्पिता थोड़ा emotional हो के अर्पित के सीने से लग जाती है।अर्पित अब उसके माथे को थोड़ा सा चूम के उसे bye कह के चला जाता है और बाहर सबसे आशीर्वाद लेते जाता है। अर्पिता fresh हो के जब बाहर आती है तब उसकी नजर सरोज के सादी के कार्ड में पड़ती है।वो जल्दी से रंजीता को फोन करती है और उसके आने के बाद दोनों चले जाते है।देखते देखते सरोज कि सादी भी हो गई।लिजा और सरोज दोनों खुश थे।
अर्पिता ने घर लौट ने के बाद अपने पाप कि मुंह से अर्पित कि तारीफ सुना अर्पित से भी बात की और बताया कि पापा ने कितनी तारीफ कि है उसकी।अर्पित भी खुश हो गया।
अगले दिन सूर्यकांत जी ने पंडित जी को बुलाया अर्पित और अर्पिता कि सादी का तारीख निकलवाने।वहां सुलोचना जी और अमरेन्द्र जी भी आए थे।

अब पंडित जी कौनसी तारीख बताते हैं जान ने केलिए पढ़ ते रहिए अर्पित कि अर्पिता।

Arpit Ki ArpitaWhere stories live. Discover now