7.अनजान

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जानकार भी तुम अनजान बनते हो!

मानकर भी इंकार करते हो!

हाथ मेरी और पहेली दफा तुमने बढ़ाया था मगर ,

साथ छोड़ना भी तुम्ही सिखाते हो!

रिश्ता तो पहले भी था और अब भी है मगर,

जानकार भी तुम अनजान रेहने का ढोंग करते हो ! 

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