24.एक खाब!

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मैंने  एक खाब  देखा है ,
पर उसे  हकीकत बनते  देखना चाहती  हूँ !

लोगों  से  लड़ झगड़कर  देख  तो  लिया ,
बस  अब  थोड़ा  सा सुकून  और  चाहती  हूँ !

दिल  पर  खाब  का  बोझ  नहीं ,
आज़ादी  की उड़ान  भरना  चाहती  हूँ !
अब बस  दुनिया को  यह  साबित  करना  चाहती हूँ , 
की  मैंने खाब  तो  देखा  है ,
पर  उसे  हकीकत  बनाना  जानती  हूँ !

यह ज़िद  है  मेरी , या भरोसा  नहीं  पता ,
अब ज़िद  भी और भरोसा भी
साथ  लेकर उड़ना चाहती  हूँ ,
मैंने  एक खाब देखा  है ,
उसे  हकीकत  बनता  देखना  चाहती  हूँ .

यह  खाब है ,कोई धोका  नहीं ,
यह  समझाना  चाहती  हूँ .
मेरे  खाब  के  इन पैरों  में ,
कोवत  बांधना  चाहती  हूँ !

मजबूरी की ज़ंजीर नहीं,हिम्मत की ज्वाला  चाहती हूँ ,
इस दुनिया  की बंधी  आंखों  की  पाती
अब उतरना  चाहती  हूँ .
मैंने  एक खाब  देखा  है ,
उसे हकीकत बनाना  जानती  हूँ !

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Syaahi !Where stories live. Discover now