बन के आसमान बादल की तरह बरसते रहेंगे हम,
हुये जुदा अगर तो मिलने के लिए तरसते रहेंगे हम!हर खामोशी में कर के परदा मरते रहेंगे हम,
देख कर चाँद को अब रात भर जागते रहेंगे हम!जख़्म मिलतें हैं जमाने से अगर सहते रहेंगे हम,
बन के फूलों की तरह गुलशन में खिलते रहेंगे हम!अगर मिलने न दिया ख़्वाबों में मिलतें रहेंगे हम,
दिल में अपने ही चिराग़ की तरह जलते रहेंगे हम!कल देखा है किसी ने हार कर भी जीते रहेंगे हम,
पंछियों की तरह कहीं दूर से आवाज़ देते रहेंगे हम!
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अक़्स
General Fictionwinner of "Popular Choice Awards India 2019". in ** ( Poetry: Hindi )** "अक़्स" "REFLECTION" चला जाता हूँ जहाँ जहाँ तेरा अक़्स दिखाई देता है, छुपा लूँ जमाने से मैं कितना भी जख़्म दिखाई देता है! हम अपने दोस्तों को मिलनें चलें जाये क्यूँ बताओं...