"जीवन एक लम्बा सफर"

29 4 2
                                    

    जीवन एक लम्बा सफर है
            इसमें खो जाता है मानव

       कभी राह पर चलता सीधा
               भटक कभी जाता है मानव

        भूले भटके चौराहों पर
             अगर मिलो पुन: किसी से

      न वह तुमको पहचानेगा
             न तुम उसको याद करोगे

      समय बदलता यह रहता है
             और हवाऐं राह बदलती

       अब वह क्षण याद करो न
            बीते थे जो कभी यहाँ पर

      कुछ भी स्थिर नहीं है जग में
              बदल गए राहों के पत्थर

     भटक रहे हों क्यों इन गलियों में
             मौसम बीता यह भी बदलीं

       किसको अब तुम ढूँढ रहे हो
             बीते दिन सब बातें बदली ।
    

Kavyangaliजहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें