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माँ तप त्याग समर्पण  और वलिदान का प्रतीक
एहसास,असंख्य भावनाओं का पुँज,
एक अद्भुत अनुभूति माँ

माँ उत्सव,
यादें उसकी महाउत्स्व है
मातृत्व ही तो माँ का अलंकार है-माँ का होना है
माँ होगी तो मातृत्व भी होगा
मातृत्व में ही माँ समाहित
ममत्व की शीतल छाँव में उसकी
जीवन तृप्त,तुष्ट ,और पुष्ट होता है

समय की रेखा पर सब-कुछ मिट जाता
अच्छी -बुरी बातें अतीत की यादें बन जाती
माँ की ममता लेकिन समय के साथ
जीवंत और चैतन्य होती जाती

ममता कोई भेद नहीं करती
मेरे-तेरे ,बेटा-बेटी में कोई भेद -भाव न करती
विभाजक रेखा से परे हो  असीम,अनंत प्यार लुटाती
माँ के स्नेहिल स्मरण से ह्रदय भर आता
बनकर  मेघ अंत:करण में  उमड़ती-घुमड़ती
माँ के प्यार कां जीवन जल बनकर
मुरझाए प्राणों को भी जीवंत कर देता

आँचल में जिसके बचपन पोषित और
यौवन समृद्ध हो जीवन ,
नई ऊँचाईयों को स्पर्श करता है
माँ ही हमें गढ़ती,व्यक्तित्व को हमारे
अंदर सहेजती
इसीलिए तो माँ को गर्भ रूपी कोख मिली है

माँ ने तो अपना सर्वस्व लुटा दिया अब
उसकी ममता का मूल्य चुकाना  होगा

ममत्व का  उसके
मूल्य चुकाना तो मुश्किल है
सम्मान,आदर और प्रतिष्ठा देकर
ऋण को कुछ हल्का करना है

शोणित को सुखाकर जिसने अपना
हमको जीवन दान दिया है
बुढ़ापे में उसकी लाठी बनकर सहारा देना ही
उसका सच्चा सम्मान है ।🙏❤️🙏

शोणित को सुखाकर जिसने अपनाहमको जीवन दान दिया है बुढ़ापे में उसकी लाठी बनकर सहारा देना हीउसका सच्चा सम्मान है ।🙏❤️🙏

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