"क्या थे ,क्या है ,क्या होगा ?"

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तुम मिले क्या मुझे जिन्दगी मिल गई
था अंधेरा वहाँ रोशनी हो गईl
मैं समझता था राहें कठिन हैं
लेकिन हर एक राह सरल मेरी हो गई
तुम चले साथ मेरे सहारा मिला
मुझको मंजिल मेरे पास हँसती मिली
ख्वाब मेरा हर एक पूरा होता गया ।
हर खुशी जिन्दगी की मुझे मिल गई थी ।
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क्या है ?

दोनों हैं पास बैठे फिर भी अलग-अलग हैं
कुछ सोच तुम रहे हो कुछ सोच मैं रहीं हूँ
यह पास रहकर क्यों दूरियाँ बढ़ी हैं
न तुम समझ रहे हो न हम समझ रहे हैं
कैसी है गलतफहमी हलचल यह मन में कैसी ?
गुत्थी उलझ न जाए उसको ही सुलझा  रहा हूँ
देखो नज़र भरकर समझो नयन की भाषा
दर्पण में दिल के झाँको समझा उन्हें रहा हूँ ।

क्या होगा ?

मेरे गम से परेशाँ कौन  होगा
  जो सोया नहीं वह कौन होगा ?
भुला दो तुम यही अच्छा रहेगा
  तुम्हारे गम में साथ कौन होगा ?

    यह नज़ारे चार दिन के हैं
     नज़र यह फेर लेंगे
     उजाले में कदम रोको न अपने
     अंधेरे रास्ते में घेर लेंगें ।

     रोक लो बहती गर्म हवाओं को
      अभी आबाद इसे रहने दो ।
      सहारा ढूंढता है राहों में
    अपने पावों से उसे चलने दो ।

क्या चाहता हूँ ?

      मैं थक गया सफर में मंजिल पे आ गया हूँ
जो कुछ भी चाहता था  सब कुछ तो पा गया हूँ

क्यों दर्द - ए -दिल में लेकर में शब को जागता हूँ
यह कैसी बेखुदी है क्या रब से चाहता हूँ
     मुस्कुराऐं सारी कलियाँ जो चमन को छोड़ दूँ मैं
तुम्हें याद भी न आऊँ  मैं दुआ यह माँगता हूँ

जो दूर जाकर अपना  घर बसा रहें हैं
वह भी खुश रहें यह दिल से चाहता हूँ

मुझे गम दिए हैं जिसने उसे गम कोई न आए
महके चमन हमेशा ऐसी बहार आए ।


KavyangaliWhere stories live. Discover now