'हमसफ़र '

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तुम राह चलते-चलते
              मेरे साथ थक गए हो
लम्बी है राहें बाक़ी
                विश्राम ज़रा कर लें
कभी हम धूप में चले हैं
               कभी छाँव में रूकें है
पर चैन न कहीं पाया
                      चलते ही हम रहे हैं
हमें राह में अनेकों
                      पत्थर पड़े मिले है
उनको हटाया पथ से
                      तब आगे हम बढ़े हैं
यह ज़िंदगी राहें
                     आसान नहीं होती
मुस्कुरा के हर क़दम पे
                       आगे सदा बढ़ें है
कुछ ठहर जाएँ अब हम
                   मिल बैठें गीत गाएँ
कुछ गीत तुम सुनाओ
                कुछ गीत हम सुनाएँ
बाक़ी लम्हें ज़िंदगी के
              मुस्कुरा के काट लें हम
यह कौन जानता है
            कब तक सफ़र में हम हैं ।
जो लम्हें साथ काटे
                   वह तो रहें हमारे
इन्हें हम ख़ुशी से भर दें
                   और साथ हँस कर चल। दें।
                 

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⏰ पिछला अद्यतन: May 13 ⏰

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