In the comment box of the previous poem Hak (हक) both @riya2711 and I have share our thoughts in the form of shayri. I'm sure people who have read my previous book Palchhin remember our jugalbhandi from last book. This one is similar to that. Do read hak (हक) before you read this, so you may understand how the chain was formed.
Hope you enjoy it :)
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Riya :
जो मेरा ना था कभी ,
क्यूँ करूँ मैं परवाह उसकी ।
ज़िन्दगी मेरी कोई पतंग नहीं ,
कि डोर कट जाए तो भूल जाऐं ।।
Kanchan :
कटी पतंग सा जीवन था मेरा
जब तक ना मैं उससे मिली थी
पर आज जब मुँह है उसने मोड़ा
तो जीवन की डोर है मानो छूट रही ।
Riya :
ज़िन्दगी की पतंग क्यूँ किसी डोर की मोहताज़ है
आखिर परिंदे किसी डोर के मोहताज़ तो नहीं ।।
Kanchan :
ना है परिंदे किसी बन्धन में
ये बात एक सच है
पर मोहताज़ होती है ज़िन्दगी उससे जुड़े लोगों की
ये भी एक सच है ।।
Riya :
मोहताज़ होना अगर ज़िन्दगी की फितरत है
तो क्यों ना सर झुके उसके सामने
जिसकी देन है ज़िन्दगी ।।
Kanchan :
देने वाले के सामने सर झुकाया जाए
ये सही है
पर अहसानफरोशी भी तो इंसानी फितरत है ।
ना झुकाए वो सर उस देने वाले के आगे
क्योंकि वो मानता है ;
"ज़िन्दगी मेरी है ,
मैं मालिक हूँ इसका
क्या हक है उसका मुझपे
ला दिया उसने तो
इस जस्तो-ज़हत की ज़िन्दगी में मुझे
अब मुझे ही तो यहाँ रहना है
क्या अहसान है उसका मुझपे
जो मैं इसका सजदा करूँ ?"
Riya :
हमसफ़र कई मिल जाएंगे राह में
मगर राह दिखाने वाले कम मिलते हैं
दुनिया में लाख खजाने हासिल हो जाएं
बस उनकी चाबी सम्भाल के रखना मेरे दोस्त ।।
Kanchan :
हमराही तो बहुत मिलते हैं
पर मन्ज़िल तक साथ निभाने वाला बस एक होता है
खजाने मिलते और गुम हो जाते हैं पर
सच्चे राही का साथ बस एक बार मिलता है ।।
Riya :
गलत साथ, हाथ और बात
हमेशा हमें हमारा ही दुश्मन बना देते हैं
मोड़, तोड़ और जोड़ कई आएँगे राह में
बस कदम तेरे चलते रहें
यही सदा देते हैं ।
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So this was the chain of our thoughts.
Hope you like them :)
Thank you for reading :)
Kanchan Mehta :)
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पलछिन -2 (Winner Of #Wattys2016)
Poetryपलछिन-2 (Palchhin-2) is my second poetry book. Just like the first book this book too contain Hindi Shayris(शायरी)and kavitas (कविताएँ). Hope you guys will like them. it's not necessary to read the first part before reading this one but i will appre...