तमन्नाओं का शिखर

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तमन्नाओं के शिखर पर चढ़ना आसान नहीं

राह मुश्किल तो नहीं

पर आसान भी नहीं

हर पग जो शिखर के करीब जाता है

ना जाने क्यूँ ये शिखर

मुझसे दूर होता जाता है

दिल की ख्वाहिशों का भी आज-कल कोई हाल नहीं

एक पूरी होती नहीं कि दूसरी जग जाती है

ये तमन्नाओं का भी शिखर निराला है

इंसान के गुरुर की तरहां

बस बढ़ता ही जाता है

ना तमन्नाएँ खत्म होती हैं

इस दिल की

ना ये सफर कभी पूरा होता है

ज़िन्दगी खत्म हो जाती है

पर शिखर दूर ही रहता है ।।

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Kanchan Mehta

पलछिन -2 (Winner Of #Wattys2016)जहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें