कविता

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The poem is dedicated to my dear virusdetected0730

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ना की मोहब्बत हमने कभी

पर एहसास फिर भी कर पाते हैं

ना टूटा हो दिल भले

पर दूसरों के टूटने की आवाज़ सुन पाते हैं

शायद यही वजह है के

हमारी हर नज़्म में आप इसका अहसास कर पाते हैं

"क्या मोहब्बत है किसी से तुम्हे?"

ये सवाल किया बहुत है तुमने हमसे

पर जवाब हम आज देते हैं

ना की है मोहब्बत हमने कभी

ना करने का हौंसला रखते हैं

बहुत देखे हैं गम

जो मोहब्बत करने वाले सहते हैं

बस देख के ही दिल घबरा गया है अब तो

क्योंकि टूटने से डर इसे भी लगता है ।

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