Riya2711

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किस्से कहानियाँ कब हमारी ज़िन्दगी का आईना बन जाती है, कोई कह नहीं सकता ।

बारिश गम की हो या ख़ुशी की, कब बरस जाए पता नहीं चलता ।

जीना चाहते हैं सुक़ून की महफ़िल को, लेकिन कुछ देर बाद आँसू का नमक याद आता है ।

चख के कोई बता नहीं सकता ।।

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रुसवाई

यहाँ हर कोई चोट खाया हुआ है

सहराब में ना सही गम की गहराइयों में डूबा हुआ है

रुसवाईयाँ तो तहज़ीब हैं ज़माने की

इस लिए हर शख्स अफसानों के लफ़्ज़ों में कहीं मिला हुआ है ।

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