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" और तुम्हें लगता है कि वो अपना हिस्सा हमें दे देंगे सिर्फ मेरे दोस्ती का हाथ बढ़ाने से " ह्वेन कि बातों को सुनते हुए JIMIN अपना सिर हिलता है और अपनी रास्ते मे आते हुए पहाड को और पथरो को देखने लगता है । उसकी सेना कि छोटी सी टुकड उसके साथ चल रही तो जो उसे आने वाले खतरे से बाचाने के लिए उसके साथ आगे बढ़ रहे थे और थोड़ी थोड़ी देर पर आस पास के राज्यों के बारे मे बता रहे थे जिनको उन्होंने किसी ना किसी लड़ाई मे जीती थी ।
पर उसकी नजरे सामने आने वाली पहाड़ पर टिकी थी जो अपने अंदर एक राज्य को छिपाय बैठी थी , उसका सुरक्षा कवच बनी बैठी थी , जिसको जितना अब उसकी चाहत थी जिसको अपने मुट्ठी के तले लेना उसकी फितरत थी । वो बस उसे अपने अंदर लेना चाहता था इस पूरी दूनिया पर राज्य करने के लिए ।

" और भला क्यूँ नहीं " ह्वेन उसकी तरफ देखते हुए बोला एक विश्वास भरे आवाज से जिसने JIMIN को उसकी तरफ देखने को मजबुर कर दिया ।  उसे पूरा यकीन था कि कोई भी देश दर्श को ना कहने का खतरा नहीं ले सकता क्योकि उस अकेले के पास आधी दुनिया थी और फिर वो तो खुद वहाँ जा रहा था , उसको ना कहना मतलब शेर के मुँह मे हाथ रखने जैसा था ।

उसकी बातों को सुनकर JIMIN वापस से उस पहाड़ कि तरफ देखने लगता है जिसने उसके अगले लक्ष्य को छिपाय रखा था , जहाँ उसे पहुचना था । एक बार उसको देखना था जिसकी चर्चाए हर तरफ थि , एक बार उनकी वो कमज़ोर कड़ी पकड़नी थी जो उन्हें जड़ से तोड़ कर रेख देगी   ।

" और या फिर तुम इतने ज्यादा लड़ाई करने को उत्सुक हो कि तुम्हारा मन सीधे उनपर हमला करने को कर रहाहै " JIMIN थोड़ा हँसता है उसके बातों पर , पर ऐसा कुछ नहीं था । भले हि उसने अपनी सारी भावनांए जला डाली थी पर फिर भी वो किसी को बिना चेतावनी के नहीं मार सकता था जबतक वो कोई पीठ  पर हमला करने वाला ना हो ।

" नहीं ह्वेन , मैं जानने को उत्सुक हूँ कि उनके सबसे बेस कीमती चीज है क्या? " उसकी नज़रों ने कभी भी उस पहाड़ कि तरफ देखना नहीं रोका था क्योकि उसी के पीछे तो वो राज्य छिपा था जिसको इसबार खुद JIMIN से भीड़ना था और अपने आप को उसके हवाले करना था ।

" राजकुमारी अध्या , उनकी सबसे कीमती चीज । वो उनको हमेशा दुनिया कि नज़रों से दूर रखते है , पर फिर भी ऐसा मैं नहीं कहता ऐसा लोग कहते है "
वो अच्मभे मे उसकी तरफ देखने लगता है उसकी अचानक कहीं हुए बात सुनकर पर कुछ देर सोचने के बाद उसे नजरअंदाज करके वापस से रास्ते मे आगे बढ़ने लगता है ।

______सेट चेन्ज ____

" ठीक है ! पर इसबार मुझे ना बुलाया जाए  जब वो मुझसे मिलने को कहें। " अध्या अपना सर झुकाते हुए अपने पिता के कमरे से बाहर जाने लगती  है । इसमें गुस्सा करने जैसी कोई बात हि नहीं थी कि हर बार कि तरह उन्होंने इसबार भी उसको अपने कमरें मे बंद रहने का हुकूम दे दिया था क्योकि उसके लिए ये बात आम हो चुकी थी , दुनिया से छिपकर एक कोने मे दुबके रहना । इस आदत ने कहीं ना कहीं उसके अंदर एक डर पैदा कर दिया था क्योकि उसकी बाहर जाने कि चाह ना जाने कब एक डर मे बदल जाती थी उसे खुद पता तक नहीं चलती थी   ।
लोग क्या कहेंगे , क्या होगा अगर वो उसे पकड़ लेंगे , क्या होगा अगर बाहर के दुनिया के लोग वैसे नहीं हुए जैसी वो सोचती है ।
उसे पता था कि रहना तो इसबार भी कमरे के अंदर बंद हि है पर इसबार भागने का चारा भी बंद होते हुए देख उसने कोशिश कि , कि  शायद थोड़ी दिन के लिए हि सही वो उसे अपने किसी रिश्तेदार के यहाँ भेज देंगे पर यहाँ लगता है जैसे उन्होंने पहले हि इसकी आहट ले ली थी कि वो भागने का सोच रही है और सीधे ना कह दिया ।

कमरे से बाहर आने के बाद वो एक लम्बी साँस लेती है और   सीढ़ियों पर बैठते हुए अपना सिर अपने हाथ में ले लेती है ।
उसके सारे रास्ते यहाँ से बाहर जाने के बंद होते हुए नज़र आ रहे थे और अगर ऐसा हुआ तो वो जीते जी मर जाती क्योकि वो इस तरह से जीना नहीं चाहती थी ।उसके अपने परिवार ने उसको इतना अकेला बना दिया था कि उसको किसी के सामने रोना भी गलत लगता था , छन भर मे उनका प्यार फिर छन भर मे उनका गुस्सा , क्यूँ , क्योकि उसने सिर्फ कुछ करने को पूछा जो उसको नहीं कारना था उनकी नज़रों मे ।

" कैसी होगी उस पार कि जिन्दगी - मेरी तरह या फिर वैसी जैसी मैं सोचती हूँ " उसकी आँखे उस पहाड़ पर जा टिकी  जिसको पार करने का सपना , उसके पास जाने का सपना , उसके छूने का सपना उसके आँखों मे बचपन से था पर लगता है उसका ये सपना एक सपना बनकर हि उसकी आँखों मे हमेशा उसके साथ रह जाएगा  ।

खुल के जीने का सपना ।

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⏰ पिछला अद्यतन: Mar 07 ⏰

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