कभी तो उससे बात हो ,तक़रार के अलावा
वो कुछ बोलता ही नहीं,इंकार के अलावा
शिद्दते आशिकी मेरी, क्यों अपने उठान पर है
सभी जानते हैं ये ,बस मेरे यार के अलावादुश्मन भी मेरे सब ,अब बड़े पेशोपश में हैं
मुझे कुछ सूझता ही नहीं प्यार के अलावादौलत जो भी थी पास,लुटा दी है यार पर
सब ये बात समझते हैं, सरकार के अलावाअनुज
सरकार शब्द दो तरह से इस्तेमाल हो रहा है।
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शायरी ,कविता, प्यार और कुछ जिंदगी
Poetryकुछ कविताएँ कुछ शायरी ,कुछ जिंदगी की बातें ,जिनको पढकर आप अच्छा महसूस करेंगे