एक नज्म प्यार की

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" एक नज्म प्यार की"

प्यार, बस ये सोच कर ही करना
जिंदगी से, कभी भला लगेगा मरना

ये कांटें भी जुड़े थे, कभी फूलों से
इन कांटों को चूमते, तुम नहीं डरना

कुछ मर्ज बढ़ाते हैं, जिंदगी का मजा
ऐसे मर्जों की दवा, तुम नहीं करना

हो इकरार या इंकार, ये बेमानी है
प्यार, सिर्फ प्यार के लिये ही करना

हैं हजारों, मगर एक ही तो मंजिल है
उस मंजिल पर ही, तुम ध्यान धरना

रात के बाद, सुबह जरूर होती है
रात के अंधेरों से, तुम नहीं डरना

हर मुलाकात, बदल जायेगी जुदाई में
ये सोचकर, आंख नम नहीं करना

बहुत सी बातें कहेंगें, ये कहने वाले
इनकी बातों पर, कान नहीं धरना

दिल किसी का धकड़ जाये, सुनकर
ऐसी नजम कहने से, तुम नहीं डरना

शायरी ,कविता, प्यार और कुछ जिंदगी Where stories live. Discover now