chapter-8

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मार्ग में राज - परिवार के जो भी सदस्य वीर सिंह को अति प्रसन्न होकर जाते हुए देख रहे थे, सभी उससे अति प्रसन्नता का कारण पूछा रहे थे। वीर सिंह कुछ भी समझ नहीं पा रहे होते हैं की ये सब क्या हो रहा है?सभी मुझे ऐसे विचित्र नज़रों से क्यों देख रहे हैं? वे देखते हैं कि कोई उनकी नजर उतार रहा था तो कोई उनसे अजीब - गरीब प्रसन्न पूछता, तो कोई पूछता कि पूर्व किसने बात की? किसने पहले आरंभ किया? उसने तुमसे क्या कहा? कहां मिले? कब? आपने उन्हें पहले भी कभी देखा था आदि, उन्हें तंग कर रहे थे।
                             
                       उनसे बड़े जैसे कि राजमाता सुभांगी, उनकी मासी मां अनंदिका, उनकी काकी सा अपर्णा और बुआ सा कोरुवी, सभी उनका माथा चूम कर उन्हें खुश रहने का आशीर्वाद दे रहे थे। सभी अत्यंत प्रसन्न थे। वीर सिंह के पूछने पर वो बताती हैं कि वे, उसकी(वीर सिंह) और उस लड़की(वीरांगना) के विवाह - संबंध के जुड़ने से अति प्रसन्न है। वीर सिंह यह सुनकर दंग रह जाता है और क्रोधित होकर सभी से कहता है कि उसका विवाह किसी से नई हो रहा है और वीरांगना केवल एक अपराधी है जिसे दण्ड से भय नहीं लगता है और इसीलिए वह उसे अपने साथ रखेगा क्योंकि उस(वीरांगना को) हमसे अत्यंत भय लगता है। जिससे कि अन्य कोई ऐसी मूर्खता न कर सके। यह कहकर वह क्रोध में वहां से चला जाता है। इसके पश्चात वीर सिंह की मासी मां, और काकी सा दोनों राजमाता सुभंगी के साथ वीर सिंह के कक्ष में प्रवेश करती हैं। जहां वीरांगना वीर सिंह के कक्ष में सो रही होती है।   

                           राजमाता सूभांगी वीरांगना के सिरहाने बैठ जाती हैं और धीरे - धीरे प्रेम से उसके मस्तिष्क को सहलाने लगती हैं। राजमाता अपनी बहिन और देवरानी सा को वीरांगना के निकट बैठने का संकेत देती हैं। तीनो वीरांगना को इस प्रकार देखती है, जैसे कि कोई माता अपनी पुत्री को देखती है (जैसे कि कोई आशाहीन व्यक्ति उम्मीद की एक किरण को देखता है)। तीनो वीरांगना के विषय में बातचीत करना आरंभ कर देती है।

राजमाता - तनिक देखिए तो, कितनी सुन्दर मुखाकृति है। अप्सराओं की भांति साज - श्रृंगार है।

Veerangna -A Beautiful Love storyWhere stories live. Discover now