वीरांगना
- एक अद्भूत प्रेम गाथाआज से लगभग पंद्रह सौं साल पहले जब आधी से ज्यादा धरती पर बस एक ही महारथी का ध्वज लहरा रहा था। एक ऐसा योध्दा था जिसके नाम में ही नही अपितु उसके रक्त के एक-एक कतरे में वीरता बसी हुई थी। इतिहास में उसका नाम चक्रवर्ती सम्राट वीर सिंह के नाम से प्रसिध्द हुआ।
मात्र 16 वर्ष की अति अल्प आयु में वीर सिंह को सिंहासन तथा शासन दोंनों ही सौंप दिये गए। यह निर्णय वीर सिंह के पिता महाराज शेर सिंह की इच्छानुसार लिया गया। वीर सिंह अपने पिता शेर सिंह को अपना आदर्श मानता था तथा उसके द्वारा दिखाए गये मार्ग पर अग्रसर था। शेर सिंह अत्यंत दुष्ट तथा लोभी राजाओं में से एक था पंरतु 52 वर्ष की आयु में उसे ज्ञात हुआ की वह एक भंयकर रोग से पीड़ित हैं। जब उसे ज्ञात हुआ राज वैद्य के पास इस रोग का कोई तोड़ नही हैं तथा वह मृत्यु के अत्यंत समीप हैं तो उसने अपनी महत्तवकांक्षा को पूर्ण करने के लिए अपने पुत्र वीर सिंह का चयन किया। इस निर्णय से उसका ज्येष्ठ पुत्र अमर सिंह उससे तथा वीर सिंह से क्रोधित होकर राजमहल छोड़ कर चला जाता हैं। शेर सिंह यह जानता था कि वीर सिंह मात्र उम्र में ही अमर सिंह से छोटा है अन्यथा वह बुद्धि, ज्ञान, तथा बल तीनों में ही अमर सिंह से श्रेष्ठ था। अतः उसने वीर सिंह को स्वर्णगढ़ का सम्राट घोषित कर दिया।
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Veerangna -A Beautiful Love story
RomanceHi guys! this is my first story Which i am TRANSLATING IN HINDI. If many of you guys wanted to read Indian historical stories in hindi language just join me here. I am not gonna tell you summary of this story, You have to find it by reading it...