ऐ खुदा

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वो कब्र पे आकर रोने लगा, मैं कैसे उसे मनाऊँ ।
उसने मिलने की जिद पकड़ी, हद कैसे उसे समझाऊँ ।।
उसके आँसू तेजाब से गिरे, कायनात देख रही तमाशा थी ।
मैंने खुदा की ओर देखा, मुस्कुराहट जाने कौन सी भाषा थी ।।
पत्थर उसने छुआ रोकर, मैंने हाथ खुदा को फैलाये ।
एक पल को जाने दे बस, ताकि उस दीवाने को समझा आये ।।



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