50 वॉ दिन - 27 सितम्बर (अमृतसर)

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50 वॉ दिन - 27 सितम्बर (अमृतसर)

13 मार्च 1938 को रोलट एक्ट के विरोध में अमृतसर के जलियांवाला बाग में हो रही सभा में घुसकर जनरल डायर ने गोली चालन किया था। जिसमें दो हजार स्वतंत्रता सग्रांम सेनानी शहीद हुए थे। शहीद उधमसिंह ने बदला लेते हुए लन्दन में जनरल डायर की हत्या कर दी थी यात्रा के जलियांवाला बाग में पहुंचने पर सभी साथी स्मारक पर पहुंचकर अधिक से अधिक जानकारी लेने की उत्सुक थे। मालुम हुआ की उधमसिंह का जन्म 26 दिसम्बर 1899 को सुनाम में हुआ था मॉ बाप के गुजर जाने के बाद पालन पोषण पुतली घर स्थित अनाथलाय अमृतसर में हुआ था 13 अपै्रल 1919 के दिन उधमसिंह ने पूरा नरसंहार घायलो को पानी पिलाते हुए अपनी आंखो से देखा था। गदर पार्टी के सदस्य बनकर इंग्लैण्ड, अफ्रीका अमरीका होकर लौटे कई प्रकरणो में वे 4 वर्षाे तक जेल में रहे। वे अपना नाम राम मोहम्मद सिंह लिखा करते थे। लन्दन में उन्होंने 13 मार्च 1948 को डायर की हत्या कर बदला लिया। भागे नही मुकदमे में बहस भी नही की। 31 जुलाई 1940 को उन्हें फांसी दे दी गई। 16 अपै्रल 1919 को डॉ0 सैफउद्दीन कुचरू तथा डॉ0 सतपाल को उम्र कैद हुई थी। डॉ0 मोहम्मद वषीर को फांसी दी गई थी। मदनलाल डींगरा को 2 अग्रेंजो की लंदन में हत्या के आरोप में 17 अगस्त 1909 को फांसी दी गई थी। श्री रचनचंद्र और चौधरी बग्गामल को 17 वर्ष की जेल हुई थी। स्मारक में उल्लेख मिलता है कि श्रीमती रतनदेवी विधवा छज्जु भगत ने हत्याकांड की रात 2000 से अधिक लाषो के बीच गुजारी थी।

हम अमृतसर के सिक्ख संग्रहालय में भी गये जहॉ उल्लेख मिला की 1500 से 1505, 1506 से 1509, 1514 से 1516 तथा 1518 से 1521 चार चरणो में गुरूगोविन्दसिंह 40 हजार किमी की पदयात्रा की थी। संग्रहालय में उल्लेख मिलता है कि 13 अपै्रल 1978 को भाई फौजासिंह के नेतृत्व में 13 सिक्ख गुरूग्रन्थ साहब के सम्मान की रक्षा के लिए शहीद हुए थे। शहीद दर्षनसिंह ने पंजाब के सुबे के लिए 75 दिन का अनषन किया था। संग्रहालय में 6 जून 1984 को जनरेलसिंह भिण्डरावाले के शहीद होने का उल्लेख सचित्र देखने मिलता है। इंदिरा गांधी की हत्या के आरोपियो सतवंतसिंह, केहरसिंह को 6 जनवरी 1989 को फांसी दी गई थी उनके चित्र भी संग्रहालय में लगाये गये है। जून 1984 में आपरेषन गोल्डन टैम्पल में मारे गये 743 लोगो के नाम और पते भी संग्रहालय में दर्ज है।

अमृतसर में हमारी मुलाकात प्रो0 चीना से हुई उन्होंने कहा कि डॉ0 लोहिया ने पूंजीवाद और मार्क्सवाद का विकल्प समाजवादी सिद्धान्त के रूप में प्रस्तुत किया था। उन्होंने कहा कि श्री जार्ज फर्नाडिस ने मुझे डॉ0 लोहिया पर पंजाबी में किताब लिखने के लिए प्रेरित किया था जिसका प्रस्तावना सुश्री निर्मला देषपाण्डे ने लिखा था तथा जार्ज फर्नाडिस ने फारवर्ड लिखा था। उन्होंने बताया कि अग्रेंजी में इस किताब को छापने का वायदा श्री जार्ज मैथ्थू ने किया था। प्रो0 चीना ने बताया कि पंजाब में किसान कर्जे में फंसकर आत्महत्या कर रहे है। बीटी काटन के कारण आत्महत्याऐ बढ़ी है। उन्होंने ने कहा कि पूंजीपति स्वंय को दीवालिया घोषित कर कर्जा मुक्त हो जाते है लेकिन जमीन होने के बावजूद किसान कर्जा मुक्त नही हो पाते श्री सिन्धुजी ने कहा कि देष आजाद होने के बावजूद भी गुलामी की मानसिकता बनी हुई है अग्रेंजो के समय के कानून चल रहे है यहां तक की अग्रेंजो के जमाने की परेड़ तक चल रही है। भारत पाकिस्तान के बीच 3 जंग हो चुकी है। इसके बावजूद बाघा बार्डर पर रिट्रीट के माध्यम से अभी भी माहौल बिगाड़ा जा रहा है। सिन्धु जी ने बताया की 1947 में भारत के विभाजन के दौरान 10 लाख नागरिक मारे गए थे तथा 80 लाख बेघर हुए थे। हमने सरहद पर अमन का पैगाम देने के लिए एक छोटा सा स्मारक बनाया है।

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