चौथा दिन - 12 अगस्त, पजिम, भड़गांव

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चौथा दिन - 12 अगस्त, पजिम, भड़गांव

सुबह उठा हाथ में बहुत ज्यादा दर्द था। पहली भी एक बार कंधे जकड़ जाने की शिकायत हुई थी भोपाल, ग्वालियर में ईलाज कराया था। योग करके पंजिम के लिए रवाना हुये। पातरदेवी में रूके जहॉ गोवा मुक्ति के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियो का स्मारक 1950 में बना है। स्मारक पर कई राज्यो के शहीदो के नाम लिखे है अभी तक स्मारक बनकर तैयार नही हुआ हैं। बताया गया कि हर 15 अगस्त को पाथरदेवी में शासकीय स्तर पर बड़ा कार्यक्रम होता हैं स्मारक में शहीदो के नाम हिन्दी और अग्रेंजी में लिखे है। 18 जून 1946 का जिक्र भी हैं लेकिन डॉ. लोहिया के नाम का जिक्र नही हैं। जब यह बात स्वतंत्रता संग्राम सेनानियो के अध्यक्ष नागेराजी को बताई तब उन्होंने कहा कि स्मारक के पास एक हॉल बनेगा जिसमें गोवा मुक्ति आन्दोलन के चित्र लगाये जायेंगे वहॉ डॉ. लोहिया का जिक्र होगा। देवेन्द्र भाई हमे लेने पहुंच गये थे। उनके साथ पंजिम के लिए आगे बढ़े। जहॉ आर.टी.ओ. बेरियर पर रोका गया जहॉ एक घंटे तक बहस चली। लेकिन अधिकारी मानने को तैयार नही हुआ। पूर्व विधायक विनायक नायक भी आये लेकिन दोनो वाहनो का 2950 रूपए टैक्स भरना पड़ा।

बेलगांव से पाथरदेवी के बीच पहाड़ी और घाटी है जिसकी प्राकृतिक सुन्दरता अद्वितीय दिखलाई पड़ी। झरना बहुत खुबसुरत है। राष्ट्र सेवा दल के भगवान पाटिल ने चर्चा छेड़ी। कोकंण के इस इलाके को परसुराम द्वारा गढ़ा बताया जाता है। अंधविष्वासो पर बात चली रास्ते में कुछ लोग जमीन पर लुडकते हुए बैण्ड बाजे के साथ दिखलाई पड़े। अखबार में भी देखा की स्क्वाईन फ्लू को लेकर बैंगलोर से बिहार तक सुरक्षा के लिए हवन किए जा रहे है। मुझे बार बार लगता हैं कि अंधविश्वासो के खिलाफ बड़ी राष्ट्रव्यापी मुहिम छेड़ने की जरूरत हैं महाराष्ट्र में अन्धश्रद्धा निर्मूलन के लिए कानून बनाने की कोषिष चल रही हैं। केन्द्र और राज्य स्तर पर उसी तरह के बड़े कानून बनाये जाने की जरूरत हैं जिनके माध्यम से सतिप्रथा तथा बालविवाह को रोकने की कोशिश हुई है।

पंजाब में शहीद स्मारक मैदान के सामने टी.वी. कुन्य स्मारक सभागृह में गये जहॉ नागेश करमती की अध्यक्षता में बैठक हुई। उन्होंने लोहिया जी के तीन बार हुई गोवा यात्राओं का पूरा वर्णन किया। उन्होंने बताया की पुर्तगाली शासक जयहिन्द कहने पर भी 90 वर्ष की सजा दिया करते थे। उन्होंने कहा कि भारत की आजादी की लड़ाई की तुलना में ज्यादा लोग जेल गये। उन्होंने कहा कि डॉ0 लोहिया ने गोवावासियो को कहा था कि जेल जाओं, जेल हमारा दूसरा घर होना चाहिए। बताया कि 18 जून 1946 को पहली बार लोगो ने एक अहिंसक व्यक्ति को संगठन पुलिस अधिकारी का मजाक उडाते देखा। यह दिन शैन्य शक्ति पर लोकशक्ति की विजय का दिन था। उन्होंने कहा कि, अभी विदेशी बड़े पैमाने पर गोवा में जमीन खरीद रहे है। कुछ समय में वे हमे भी खरीदने की कोशिश करेंगे। रात को खबर मिली की अगले दिन 11 बजे धारबाड़ और मड़गांव दोनो में कार्यक्रम की घोषणा हो चुकी है।

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