यह सुनकर अशोक का डर थोड़ा कम हुआ और उसने कहा- ठीक है, चलो इस बार देखते हैं तुम में कितना दम है !!
एक बार फिर जेली गांड और लिंगराज पर लगा कर उसने एक-दो-तीन कह कर थोड़ा ज्यादा ज़ोर लगाया। इस बार लिंगराज अचानक करीब डेढ़ इंच अन्दर चला गया और कामिनी ने कोई आवाज़ नहीं निकाली। बस एक लम्बी सांस लेकर छोड़ दी।
अशोक ने लिंगराज को अन्दर ही रहने दिया और कामिनी की पीठ सहलाने लगा। उसने कामिनी को शाबाशी दी और कहा वह बहुत बहादुर है। थोड़ी देर बाद अशोक ने कामिनी को बताया कि अब वह लिंगराज को बाहर निकालेगा। और फिर धीरे धीरे लिंगराज को बाहर खींच लिया।
उसने कामिनी से पूछा उसे अब तक कैसा लगा तो कामिनी ने कहा कि उसे दर्द नहीं हुआ और थोड़ा मज़ा भी आया। अशोक ने कामिनी को आगाह किया कि इस बार वह लिंगराज को और अन्दर करेगा और अगर कामिनी को तकलीफ नहीं हुई तो लिंगराज से उसकी गांड को चोदने की कोशिश करेगा। कामिनी ने कहा वह तैयार है।
पर अशोक ने एक बार फिर सब जगह जेली का लेप किया और तीन की गिनती पर लिंगराज को घुमाते हुए उसकी गांड के अन्दर बढ़ा दिया। कामिनी थोड़ा कसमसाई क्योंकि लिंगराजजी इस बार करीब चार इंच अन्दर चले गए थे।
अशोक ने कामिनी को और शाबाशी दी और कहा कि अब वह तीन की गिनती नहीं करेगा बल्कि कामिनी को खुद अपनी गांड उस समय ढीली करनी होगी जब उसे लगता है कि लिंगराज अन्दर जा रहा है। यह कह कर उसने लिंगराज को धीरे धीरे अन्दर बाहर करना शुरू किया।
हर बार जब लिंगराज को वह अन्दर करता तो थोड़ा और ज़ोर लगाता जिससे लिंगराज धीरे धीरे अब करीब ६ इंच तक अन्दर पहुँच गया था। कामिनी को कोई तकलीफ नहीं हो रही थी। यह उसके हाव भाव से पता चल रहा था।
अशोक ने कामिनी की परीक्षा लेने के लिए अचानक लिंगराज को पूरा बाहर निकाल लिया और फिर से अन्दर डालने की कोशिश की। कामिनी चौकन्नी थी और उसने ठीक समय पर अपनी गांड को ढील दे कर लिंगराज को अपने अन्दर ले लिया।
अशोक कामिनी की इस बात से बहुत खुश हुआ और उसने कामिनी की जाँघों को प्यार से पुच्ची कर दी। अब वह लिंगराज से उसकी गांड चोद रहा था और अपनी उँगलियों से उसकी चूत के मटर को सहला रहा था जिससे कामिनी उत्तेजित हो रही थी और अपने बदन को ऊपर नीचे कर रही थी।
कुछ देर बाद अशोक ने लिंगराज को धीरे से बाहर निकाला और कामिनी को पलटने को कहा। उसने कामिनी के पेट और मम्मों को पुच्चियाँ करते हुआ कहा कि उसके हिसाब से वह गांड मरवाने के लिए तैयार है।