Part 4

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अशोक ने कामिनी को सीधा होने को कहा और वह एक आज्ञाकारी दासी की तरह उलट कर सीधी हो गई। अशोक ने पहली बार ध्यान से कामिनी के नंगे शरीर को सामने से देखा। जो उसने देखा उसे बहुत अच्छा लगा। उसके स्तन छोटे पर बहुत गठीले और गोलनुमा थे जिस से वह एक कमसिन लगती थी।

चूचियां हलके कत्थई रंग की थी और स्तन पर तन कर मानो अशोक को लालायित कर रही थी। अशोक का मन हुआ वह उनको एकदम अपने मुँह में ले ले और चूसता रहे पर उसने धीरज से काम लिया। हाथों में तेल लगा कर उसने कामिनी की भुजाओं की मालिश की और फिर उसके स्तनों पर मसाज करने लगा।

यह अंदाज़ लगाना मुश्किल था कि किसको मज़ा ज्यादा आ रहा था। थोड़ी देर मज़े लेने के बाद अशोक ने कामिनी के पेट पर हाथ फेरना शुरू किया। उसके पतले पेट पर तेल का हाथ आसानी से फिसल रहा था। उसने नाभि में ऊँगली घुमा कर मसाज किया और फिर हौले हौले अशोक के हाथ उसके मुख्य आकर्षण की तरफ बढ़ने लगे।
कामिनी ने पूर्वानुमान से अपनी टांगें और चौड़ी कर लीं। अशोक ने हाथों में और तेल लगाकर कामिनी की योनि के इर्द गिर्द सहलाना शुरू किया। कुछ देर तक उसने जानबूझ कर योनि को नहीं छुआ। अब कामिनी को तड़पन होने लगी और वह कसमसाने लगी।
अशोक के हाथ नाभि से लेकर जांघों तक तो जाते पर योनि और उसके भग को नहीं छूते। थोड़ी देर तड़पाने के बाद जब अशोक की उँगलियाँ पहली बार योनि की पलकों को लगीं तो कामिनी उन्माद से कूक गई और उसका पूरा शरीर एक बार लहर गया।
मसाज से ही शायद उसका स्खलन हो गया था, क्योंकि उसकी योनि से एक दूधिया धार बह निकली थी। अशोक ने ज्यादा तडपाना ठीक ना समझते हुए उसकी योनि में ऊँगली से मसाज शुरू किया और दूसरे हाथ से उसकी भगनासा को सहलाने लगा।
कामिनी की योनि मानो सम्भोग की भीख मांग रही थी और कामिनी की आँखें भी अशोक से यही प्रार्थना कर रही थीं। उधर अशोक का लिंग भी अंगडाई ले चुका था और धीरे धीरे अपने पूरे यौवन में आ रहा था। अशोक ने कामिनी को बताया कि वह सम्भोग नहीं कर सकता क्योंकि उसको पास कंडोम नहीं है और वह बिना कंडोम के कामिनी को जोखिम में नहीं डालना चाहता, इसलिए वह कामिनी को उँगलियों से ही संतुष्ट कर देगा।
पर कामिनी ने अशोक को बिना कंडोम के ही सम्भोग करने को कहा।

कामसुख(Completed)Where stories live. Discover now