Part 6

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थोड़ी ही देर में उसके वीर्य का गुब्बारा फट गया और वह ज़ोर से गुर्रा के कामिनी के बदन पर गिर गया और हांफने लगा। उसका वीर्य कामिनी की योनि में पिचकारी मार रहा था।

अशोक क्लाइमेक्स के सुख में कंपकंपा रहा था और उसका फव्वारा अभी भी योनि को सींच रहा था। कुछ देर में वह शांत हो गया और शव की भांति कामिनी के ऊपर पड़ गया। अशोक ने ऐसा मैथुनी भूकंप पहले नहीं देखा था। वह पूरी तरह निढाल और निहाल हो चुका था। उधर कामिनी भी पूरी तरह तृप्त थी। उसने भी इस तरह का भूचाल पहली बार अनुभव किया था।
दोनों एक दूसरे को कृतज्ञ निगाहों से देख रहे थे। अशोक ने कामिनी को प्यार भरा लम्बा चुम्बन दिया। अब तक उसका लिंग शिथिल हो चुका था अतः उसने बाहर निकाला और उठ कर बैठ गया। कामिनी भी पास में बैठ गई और उसने अशोक के लिंग को झुक कर प्रणाम किया और उसके हर हिस्से को प्यार से चूमा।
अशोक ने कहा- और मत चूमो नहीं तो तुम्हें ही मुश्किल होगी।

कामिनी बोली कि ऐसी मुश्किलें तो वह रोज झेलना चाहती है। यह कह कर उसने लंड को पूरा मुँह में लेकर चूसा मानो उसकी आखिरी बूँद निकाल रही हो। उसने लंड को चाट कर साफ़ कर दिया और फिर खड़ी हो गई।

घड़ी में शाम के छः बज रहे थे। उन्होंने करीब छः घंटे रति-रस का भोग किया था। दोनों थके भी थे और चुस्त भी थे।
कामिनी अशोक को बाथरूम में ले गई और उसको प्यार से नहलाया, पौंछा और तैयार किया। फिर खुद नहाई और तैयार हुई। अशोक के लिंग को पुच्ची करते हुए उसने अशोक को कहा कि अब यह मेरा है। इसका ध्यान रखना। इसे कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए। मैं चाहती हूँ कि यह सालों तक मेरी इसी तरह आग बुझाये। अशोक ने उसी अंदाज़ में कामिनी की चूत और गांड पर हाथ रख कर कहा कि यह अब मेरी धरोहर हैं। इन्हें कोई और हाथ ना लगाये।
कामिनी ने विश्वास दिलाया कि ऐसा ही होगा पर पूछा की गांड से क्या लेना देना?

अशोक ने पूछा कि क्या अब तक उसके पति ने उसकी गांड नहीं ली?

कामिनी ने कहा- नहीं ! उनको तो यह भी नहीं पता कि यह कैसे करते हैं।

कामसुख(Completed)Where stories live. Discover now