मानस-मंजरी......"एक प्रेम कथा"दो दिलों की ऐसी प्रेम कहानी.....जब-जब समाज की नजरों में यह प्रेम कहानी आई, या तो समाज हैरान रह गया, या प्यार के दुश्मन,समाज की हरकतों ने इन दोनों को, हैरान कर दिया। मंजरी एक ऐसी मां की संतान,जब वह पांच साल की थी। उसकी मां को गांव वालों ने चुड़ैल कहकर पीट-पीट कर मार डाला और मंजरी अपनी जान बचाने के लिए, एक तालाब में कूद पड़ी। गांव वाले यह सोच कर उसे छोड़ गए कि उसका अंत ऐसे ही होना था। किंतु भाग्य की विडंबना देखिए,मंजरी बच तो गई किंतु उस पर आए मुसीबतों के पहाड़ ने जैसे उसे दबा ही दिया। जिसने तालाब में डूबती हुई मंजरी को बचाया। वह था एक"जादूगर"दिन भर जादू का खेल दिखाता और बेचारी पांच साल की बच्ची कभी उसके जादू के खेल का हिस्सा बनती और कभी गृहस्थी का काम संभालती। दिन बीतते गए एक दिन जादूगर अपना खेल दिखाने दूसरे गांव में गया। वहां उसका खेल देखने के लिए एक नवयुवक आया हुआ था। मंजरी भी अब कोई बच्ची नहीं रही थी।एक नवयौवना बन चुकी थी और आज भी जादूगर उसे कबूतर बना कर जनता को हतप्रभ कर रहा था। नवयुवक को जिज्ञासा के साथ मंजरी में कुछ अलग सा आकर्षण लगा। मंजरी अंजान थी।जादू का खेल खत्म होते ही मानस नाम का यह नवयुवक, जादूगर का छिपकर पीछा करते हुए उसके निवास तक पहुंच गया। जादूगर भी लगभग पचास साल का एक तजुर्बेदार इंसान था। मंजरी कोपांच साल से अभी तक अपनी बेटी की तरह पाल रहा था।एक पिता की तरह परवरिश तो करता रहा,किंतु मां का प्यार ना दे सका। वह मंजरी जिसे अपनी मां तो कुछ- कुछ याद थी और वह अपने उस असली पिता को तो देखे भी न थी, जिसकी वह संतान थी। मानस आज तो ठिकाना देखकर वापस चला गया लेकिन अब यह रोज का उपक्रम था। उसको मंजरी को देखे बिना चैन न पड़ता एक तरफा प्यार की नींव रख चुकी थी किंतु मंजरी एकदम अनजान थी।...........
आज हमने मंजरी के बचपन से यौवन तक के सफर की एक झलक देखी। मानस का वृतांत और उनकी प्रेम कहानी का विस्तार आगामी अंकों में....
आगे क्या होता है........ जानने के लिए पढ़िए मानस मंजरी एक प्रेम कथा प्रथम भाग....अन्जुला
BINABASA MO ANG
मानस मंजरी एक प्रेम कथा
Fantasyमानस मंजरी एक प्रेम कहानी। कितनी नई,कितनी पुरानी लगता था जन्मों से थे,एक दूसरे के साथी। प्यार था दोनों में इतना,कि हर जन्म में उनके प्रेम की कथाएं कहीं जाती।हर प्रेम संबंध में उनके नाम पर कसमें ली जाती।दोनों ने जादुई दुनिया के दांव-पेंच भी देखे थे।...