Chapter-10

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मानस शहर जाने को तैयार हो चुका था।अचानक माई ने सेवक को भेजकर तुरंत आने को कहा। मानस समझ न पाया, क्या हुआ। तुरंत सेवक के साथ वापस पहुंचा,माई की कुटिया में। माई ने सेवक को जाने का इशारा किया और मानस को रुकने का। मानस को कुछ अजीब सी तरंगों का एहसास होने लगा। अंदर से सिहरन सी प्रतीत हुई। उसने मां को प्रणाम किया। और एक कोने में खड़ा हो गया। मां ने आसन पर बैठने का इशारा किया, और आंख बंद करने के लिए कहा मानस कुछ समझ नहीं पाया। किंतु मां के आदेश का पालन करता रहा अक्षरश:। माई ने उसके सिर पर हाथ रखा। एक पल को उसे लगा, सारा ब्रह्मांड हिल गया हो पर कुछ बोला नहीं। मां के अगले स्वर की प्रतीक्षा करता रहा। मां आज उसे कुछ ऐसा हस्तांतरित करने वाली थी, जो उसके लिए अचरज भरा था।जो माई ने आज तक उस से छुपा कर रखा था। माई कर रही थी उचित अवसर की प्रतीक्षा। और वह अवसर अब आ चुका था, अपनी सारी तांत्रिक एवं जादुई शक्तियां आज वह मानस को देने वाली थी। यह सब कुछ इतना अद्भुत था कि मानस के ओष्ठ हिलने लगे आंखों से आंसू झरने लगे। शरीर कम्पायमान हो गया। चेहरा एकदम लाल हो गया। शायद शक्तियों को धारण करने की वजह से ऐसा हो रहा था। एक विस्मयकारी आवाज मानस को सुनाई दी। मानस आज तुम अनेक शक्तियों से सिद्ध हो चुके हो । यह सब शक्तियां अब तुम्हारे निर्देशन में कार्य करेंगीं किंतु हमेशा एक बात ध्यान रखना, कभी इनका दुरुपयोग मत करना। यह तुम्हारी मां का तुम्हें आशीर्वाद है, कि यह शक्तियां जाने अनजाने तुम्हें हमेशा मदद करती रहेंगी। "जाओ मंजरी तुम्हारी राह देख रही है"। और एक बात हमेशा ध्यान रखना कि इस संसार में अगण्य धोखेबाज, दुरात्मा भ्रमण करते हैं,और उनके पास जो शक्तियां हैं, वे अद्भुत हैं। प्रबल है। किंतु उनके बुरे उद्देश्य उन्हें सफल होने से रोक देते हैं। तुम हमेशा सावधान रहना। अब तुम आंखें खोल सकते हो। मानस एक अजीब सी अवस्था में पहुंच चुका था। शायद अचेतन जैसी उसके होठों से बुदबुदाने की आवाजें आ रही थीं। कुटिया में एक बार पुनः शांति छा चुकी थी। माहौल नीरव हो चुका था। कुछ समय पश्चात जब मानस ने आंखें खोली तो पाया इस सामने माई बेहोश पड़ी है। एकदम घबरा गया कि माई को क्या हो गया। जब माई के पास पहुंचा तो देखा माई की सांसे चल रही थी।माई पसीने में नहा चुकी थी। उसकी  सांसों की गति भी तेज थी।उसने तुरंत माई के पास रखी, गागर से पानी लेकर माई के ऊपर डाला। माई मानस-मानस कहकर उठ बैठी।............. आगे क्या होता है जानने के लिए पढ़िए मानस मंजरी एक प्रेम कथा का अगला अंक
...................... कल्पनाओं की डगर पर बढ़ चली एक मधुर, जादुई व रहस्यमयी संसार की मेरी लेखनी के जादू से निर्मित एक काल्पनिक प्रेम कथा........ #dranjulasharma #drashutoshupadhyay

मानस मंजरी एक प्रेम कथाWhere stories live. Discover now