Chapter 17 - Chandra (part 1)

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Hello my amazing Buddies,
Sorry for keep you waiting. But don't worry finally I'm here along with the most existing & heart wobbling chapter. I hope you will enjoy the chapter.
Now you can read this chapter But on one CONDITION. You have to take oath that, 'you will share your scary, merry & fairy experience.. in comment box.'
now you are ready for more upcoming scary, adventurous, mysterious and of course horrify chapters. 😉✌
So are you Ready?! Don't scare, Don't scream just Enjoy..!!
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गुरुवार,  रात  1:30  बजे ।
काफी  कोशिशों  के  बाद  पलक  अब  गहरी  नींद  में  सो  चुकी  थी ।  लेकिन  आज  भी  सोते  समय  उसके  मासूम  चेहरे  पर  चिंता  की  लकीरें  छाई  थी ।  मैं  उसे  इस  तरह  छोड़कर  नहीं  जाना  चाहता  था ।  पर  मेरा  उससे  दूर  रहना  ही  सही  था ।  इसलिए  मैं  पलक  को  गहरी  नींद  में  सोता  देखकर  अपनी  जगह  यानी  महल  की  छत  पर  लौट  आया ।
मेरे  मन  में  उठते  सवालों  की  तरह  आसपास  के  मौसम  में  भी  काफ़ी  उथल-पुथल  मची  हुई  थी ।  तेज़  ठंड़ी  पवन  कानों  में  फुसफुसाती  डरावनी  आवाज़ों  के  साथ  लहरा  रही  थी  और  हवाओं  की  धुन  पर  जंगल  के  पेड़-पौधे  खतरनाक  ठंढ  से  नाच  रहे  थे ।  आज  मेरे  मन  के  साथ  जैसे  मौसम  में  भी  अजीब  सी  कशमकश  फैली  थी ।
मैं  पलक  को  उस  कहानी  के  ज़रिए  जो  बता  सकता  था,  मैं  बता  चुका  था ।  उम्मीद  है,  पलक  इस  कहानी  को  सुनकर  समझ  गई  होगी  कि  इंसानों  से  परे  हमारी  इस  रूहों  की  दुनिया  में  बहुत  कुछ  ऐसा  था,  जो  जानते  हुए  भी  समझाया  नहीं  जा  सकता  था ।  जिसकी  खौफनाक  हकीक़त  से  वाकिफ़  होकर  भी  बदला  नहीं  जा  सकता  था ।  ये  दुनिया  इंसानों  की  सोच  से  काफ़ी  पेचीदा  और  उलझी  हुई  थी ।  बहुत  ही  ख़तरनाक  थी ।  इसलिए  वो  जितना  इस  दुनिया  से  दूर  रहे  उसके  लिए  उतना  बेहतर  था ।
उम्मीद  है,  पलक  अब  पहले  से  ज़्यादा  सावधान  हो  चुकी  होगी ।  और  समझ  गई  होगी  कि,  इन  चीज़ों  से  दूर  रहने  में  ही  उसकी  सलामती  है ।  क्योंकि  रूहों  की  इस  छलावे  और  भ्रम  से  भरी  दुनिया  में  किसी  भी  बदलाव  के  लिए  बहुत  बड़ी  कीमत  चुकानी  पड़  सकती  थी ।  और  मैं  उसे  किसी  भी  मुसीबत  में  नहीं  पड़ने  देना  चाहता  था ।  मैं  बस  पलक  को  हर  हाल  में  महफूज़  रखना  चाहता  था ।
पलक  के  ज़ोर  देने  पर  उसे  सावधान  करने  के  लिए  मैंने  इन  कहानियों  की  शुरुआत  की  थी ।  लेकिन  कहानी  सुनने  के  बाद  पलक  की  कंडिशन  देखकर  मुझे  उसकी  चिंता  हो  रही  थी ।  न  जाने  गौतम  और  पियाली  की  ये  कहानी  उसके  नाज़ुक  मन  पर  क्या  असर  छोड़  गई  थी ?!
पलक  कहानी  और  कहानी  के  किरदारों  से  एक  जुड़ाव  महसूस  कर  रही  थी ।  इसी  वजह  से  वो  कहानी  सुनते  समय  काफ़ी  जज्बाती  हो  गई ।  कहीं-ना-कहीं  इस  कहानी  ने  पलक  के  पुराने  ज़ख्मों  को  कुरेद  दिया  था ।  उसके  ज़हन  में  छुपा  डर  फिरसे  सर  उठाये  उसे  परेशान  कर  रहा  था ।  पर  मुझे  किसी  भी  तरह  उसे  फ़िर  उसी  अंधकार  में  जाने  से  रोकना  था,  जिसे  वो  मेरे  और  अपनी  तकदीर  के  कारण  पहले  ही  झेल  चुकी  थी ।
मुझे  शायद  पलक  को  इस  दुनिया  की  चीज़ों  के  बारे  में  नहीं  बताना  चाहिए  था ।  लेकिन  मैं  ये  भी  जानता  था  कि,  अगर  मैं  उसे  मना  भी  करता  तब  भी  वो  अपनी  बातों  से  मुझे  राज़ी  कर  लेती ।  इसलिए  शायद  यहीं  बेहतर  होगा  कि  मैं  सीधे  उसे  उन  चीजों  के  बारे  में  ना  बता  कर  कहानी  के  ज़रिए  उसे  सावधान  कर  पाऊं ।
मेरा  मन  लगातार  बस  पलक  के  बारे  में  सोच  रहा  था ।  चाहकर  भी  मैं  उसे  ख़यालों  से  दूर  नहीं  कर  पा  रहा  था ।  मैंने  ना  चाहते  हुए  भी  उसे  बहुत  परेशान  किया  था ।  पर  अब  मैं  उसे  एक  खुशहाल  इंसान  के  रूप  में  अपनी  ज़िंदगी  जीते  हुए  देखना  चाहता  था ।

Asmbhav - The Mystery of Unknown Love (1St Edition) #YourStoryIndiaजहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें